बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स से भारत के लिए एक बुरी खबर है। २०२२ में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को बड़ा झटका लगा है। २०२२ कॉमनवेल्थ गेम्स से शूटिंग को हटा दिया गया है। निशानेबाजी को हटाने से भारतीय ओलंपिक संघ ने शुक्रवार को कहा कि वह इसके विरोध में कोई भी कदम उठा सकता है। इसमें टूर्नामेंट से बाहर होना भी शामिल है।
इस मामले में पूर्व खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने पिछले साल ब्रिटिश खेलमंत्री के अलावा सीजीएफ अध्यक्ष को पत्र लिखा था और उनसे हस्तक्षेप की मांग की थी कि वे सुनिश्चित करें कि निशानेबाजी २०२२ में होने वाले खेलों का हिस्सा बना रहे। सीजीएफ ने हालांकि मेजबान देश इंग्लैंड पर छोड़ दिया कि वह निशानेबाजी के भाग्य पर फैसला करे जो हमेशा वैकल्पिक खेल होता रहा है।
बता दें कि निशानेबाजी वह खेल है जो राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को हमेशा से ज्यादा से ज्यादा पदक दिलाता है। २०१८ में ऑस्ट्रेलिया के गोल्डकोस्ट में आयोजित किए गए खेलों में भारत ने कुल ६६ पदक जीते थे, जिनमें से १६ पदक सिर्फ निशानोबाजी में थे। भारत ने २०१८ में इन खेलों में पदक तालिका में तीसरा स्थान भी हासिल किया था।
आईओए महासचिव राजीव मेहता ने कहा, ?भारत में निशानेबाजी बड़ा खेल है और कई निशानेबाजों के लिये राष्ट्रमंडल खेल ओलंपिक के लिए अहम है। यह निशानेबाजी और भारतीय खेल के लिये करारा झटका है. हमने सीजीएफ को प्रस्तुतिकरण दिया था और सरकार ने भी ऐसा किया था लेकिन फिर भी निशानेबाजी को बाहर कर दिया गया। हम जानते हैं कि अब सीजीएफ के फैसले को बदलना मुश्किल है लेकिन अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है. हमारे पास एक महीने का समय है (नए खेलों को शामिल करने के लिये सभी ७१ सीजीएफ सदस्यों के वोट देने से पहले)।आईओए कार्यकारी परिषद अगले दो हफ्तों के अंदर फैसला करेगी और हम बड़ा फैसला लेने से हिचकिचाएंगे नहीं।?
आइओए के शीर्ष अधिकारी २४ से २६ जून तक स्विट्जरलैंड में होने वाली अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की कांग्रेस में शिरकत करेंगे जिसमें इसके प्रमुख नरेंद्र बत्रा को सदस्य चुना जाएगा। मेहता ने कहा कि इसके बाद ही वे निशानेबाजी के मुद्दे पर फैसला करेंगे।