जानकारी के अनुसार, हरदयाल सिंह भारतीय हॉकी टीम के पूर्व खिलाड़ी होने के साथ-साथ 10 सालों तक भारतीय टीम के कोच भी रहे थे। हरदयाल सिंह का लंबे समय से स्वास्थ्य खराब होने के चलते शुक्रवार को देहरादून में निधन हो गया। उन्होंने देश को खेल की दुनिया में कई बार गौरव का एहसास दिलवाया है। इसके साथ ही उनके परिवार का कहना है उन्हें गर्व है कि वह अपने पीछे एक गौरवमयी इतिहास छोड़कर गए हैं। माननीय विद्यालयी शिक्षा, संस्कृत शिक्षा, खेल, युवा कल्याण, पंचायती राज मंत्री श्री अरविन्द पाण्डेय जी ने उत्तराखंड के एक मात्र ओलपिक गोल्ड मेडलिस्ट हॉकी खिलाड़ी हरदयाल सिंह जी निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया तथा उन्हें सह्रदय विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की और बताया की भारतीय हॉकी जगत में उनका विशेष स्थान रहा है। उनका उस विजेता हॉकी टीम (1956), जिसने मेलबोर्न में भारत को ऐतिहासिक स्वर्ण दिलाया, में प्रतिभागी होना समस्त उत्तराखंड के लोगो के लिए गर्व की बात रही है। हॉकी जगत में उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
बता दें कि 87 वर्षीय हरदयाल सिंह की 1956 में मेलबर्न ओलम्पिक में भारत को गोल्ड मैडल दिलवाने में विशेष भूमिका रही है। इसके साथ ही हरदयाल सिंह को भारत सरकार ने 2004 में ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित किया था। हरदयाल सिंह 1949 में सिख रेजीमेंट में शामिल हुए और अपने शानदार खेल की बदौलत उन्होंने राष्ट्रीय हॉकी टीम में जगह बनाई। 1956 में मेलबर्न, आस्ट्रेलिया में हुए ओलंपिक में वह बतौर इनसाइड फॉरवर्ड भारतीय टीम का हिस्सा बने। टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता तो उन्हें जेसीओ पद पर पदोन्नति दी गई।
इसके बाद उन्होंने कोचिंग के क्षेत्र में भी शानदार काम किया। उनकी कोचिंग में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। उनके योगदान के लिए हरदयाल सिंह को ध्यानचंद अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। उनके निधन पर खेल मंत्री अरविंद पांडेय समेत तमाम खेल प्रेमियों ने दुख व्यक्त किया है। हरदयाल सिंह अपने पोते अमन सिंह के परिवार के साथ निवास करते थे। अमन सिंह ने बताया कि उनका स्वास्थ्य लंबे समय से खराब था। चिकित्सकों के कहने पर वह घर पर ही उनकी सेवा कर रहे थे। वह साल 1972 से लेकर 1987 तक भारतीय हॉकी टीम के कोच रहे थे।