भारतीय नौसेना की शुरुआत 5 सितंबर 1612 को हुई थी, ईस्ट इंडिया कंपनी के युद्धपोतों का पहला बेड़ा सूरत बंदरगाह पहुंचा और 1934 में रॉयल इंडियन नेवी की स्थापना हुई थी। हालांकि 26 जनवरी 1950 को भारतीय नौसेना ने अपने नाम से 'रॉयल' का त्याग कर दिया। हर साल चार दिसंबर को 'भारतीय नौसेना दिवस' मनाए जाने की वजह इसके गौरवमयी इतिहास से जुड़ी हुई है।
आज ही के दिन साल 1971 को भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए धूल चटा दी थी। 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ छिड़ी जंग को ऑपरेशन ट्राइडेंट का नाम दिया गया था। उसी की याद में हर साल 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस मनाया जाता है।
साल 1971 को पाकिस्तानी सेना ने 3 दिसंबर को भारतीय हवाई क्षेत्र और सीमावर्ती क्षेत्र पर हमला किया था। इस हमले ने 1971 के युद्ध की शुरुआत की थी। पाकिस्तान को मुह तोड़ जवाब देने के लिए 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' चलाया गया। यह अभियान पाकिस्?तानी नौसेना के कराची स्थित मुख्?यालय को निशाने पर लेकर शुरू किया गया। एक मिसाइल नाव और दो युद्ध-पोत की एक आक्रमणकारी समूह ने कराची के तट पर जहाजों के समूह पर हमला कर दिया। इस युद्ध में पहली बार जहाज पर मार करने वाली एंटी शिप मिसाइल से हमला किया गया था। इस हमले में पाकिस्तान के कई जहाज नेस्?तनाबूद कर दिए गए थे। इस दौरान पाकिस्तान के ऑयल टैंकर भी तबाह हो गए थे।
7 दिन तक जलता रहा था कराची तेल डिपो
कराची तेल डिपो भारत के इस हमले को बर्दाश्त नहीं कर सका। डिपो में लगी आग की लपटों को 60 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता था। ऑपरेशन खत्म होते ही भारतीय नौसैनिक अधिकारी विजय जेरथ ने संदेश भेजा, 'फॉर पीजन्स हैप्पी इन द नेस्ट. रीज्वाइनिंग।' इस पर उनको जवाब मिला, 'एफ 15 से विनाश के लिए; इससे अच्छी दिवाली हमने आज तक नहीं देखी।' कराची के तेल डिपो में लगी आग को सात दिनों और सात रातों तक नहीं बुझाया जा सका।