भ्रष्टाचार के खिलाफ 2005 में एक अधिनियम लागू किया गया जिसे सुचना का अधिकार यानी RTI कहा गया। इस अधिनियम के अंतरगत कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी विभाग से कोई भी जानकारी ले सकता है लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि RTI के तहत पूछी जाने वाली जानकारी तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए।
इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखे कि किसी भी सरकारी विभाग से उसके विचार से जुड़े सवाल नही किए जाते। लेकिन किसी कार्य को करने के लिए इलाके में कितने खर्च हुए जैसे उदाहरण के तौर पर आपके इलाके की राशन की दुकान में कब और कितना राशन आया, स्कूल, कॉलेज और हॉस्पिटल में कितने पैसे खर्च हुए है जैसे सवाल आप आरटीआई के तहत पूछ सकते है।
जानकारी के लिए बता दें कि ये अधिनियम (RTI) जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देश के सभी हिस्सों में लागू है। इस अधिनियम के लिए सरकार ने केंदीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों का गठन भी किया है।
इस अधिनियम के लाभ -
- कोई भी नागरिक, किसी भी सरकारी विभाग से जानकारी प्राप्त कर सकता है
- ये अधिकार एक आम नागरिक के पास है जो सरकार के काम या प्रशासन में और भी पारदर्शिता लाने का काम करता है
- भारतीय नागरिक ही इस कानून का फायदा ले सकते हैं।
- सरकारी महकमे में एक या ज्यादा अधिकारियों को जन सूचना अधिकारी (पब्लिक इन्फर्मेशन ऑफिसर यानी पीआईओ) के रूप में अपॉइंट करना जरूरी है।
इन पर लागू नही होता आरटीआई कानून
- किसी भी खुफिया एजेंसी की वैसी जानकारियां, जिनके सार्वजनिक होने से देश की सुरक्षा और अखंडता को खतरा हो।
- दूसरे देशों के साथ भारत से जुड़े मामले।
- थर्ड पार्टी यानी निजी संस्थानों संबंधी जानकारी लेकिन सरकार के पास उपलब्ध इन संस्थाओं की जानकारी को संबंधित सरकारी विभाग के जरिए हासिल कर सकते हैं
पीआईओं से ऐसे मिलेगी जानकारी -
संबंधित विभागों के पब्लिक इन्फमेर्शन ऑफिसर को एक ऐप्लिकेशन देकर अपने सवालों की जानकारी मांगी जाती है। इसके लिए सरकार ने सभी विभागों में एक पब्लिक इन्फर्मेशन ऑफिसर यानी पीआईओ की नियुक्ति की है। संबंधित विभाग में ही पीआईओ की नियुक्ति की जाती है।
कैसे करें अप्लाई
किसी भी कार्य से जुड़ी जानकारी को प्राप्त करने के लिए आपको सबसे पहले एक सादे कागज पर हाथ से लिखी हुई या टाइप की गई ऐप्लिकेशन के जरिए संबंधित विभाग से जानकारी मांगीनी होगी। एेप्लिकेशन हिंदी, अंग्रेजी या किसी भी स्थानीय भाषा में लिखी जा सकती है इस पर कोई प्रतीबंध नही है। इसके लिए आपको 10 रुपये का एक ड्राफ्ट या फीस अदा करनी होगी।
बता दें कि इसके लिए केंद्र सरकार ने सभी विभागों के लिए 621 पोस्ट ऑफिसों को सहायक जन सूचना दफ्तर बनाया गया है। आप इनमें से किसी पोस्ट ऑफिस में जाकर आरटीआई काउंटर पर फीस और ऐप्लिकेशन जमा कर सकते हैं। वे आपको रसीद और एक्नॉलेजमेंट (पावती पत्र) देंगे। पोस्ट ऑफिस की जिम्मेदारी है कि वह ऐप्लिकेशन संबंधित अधिकारी तक पहुंचाए। इसके अलावा आप किसी भी बड़े पोस्ट ऑफिस में जाकर खुले लिफाफे में अपनी ऐप्लिकेशन दे सकते हैं।
इस अधिनयम के तहत जल्द से जल्द होती है कारवाई-
आमतौर पर सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी 30 दिन में मिल जानी चाहिए। जीवन और सुरक्षा से संबंधित मामलों में 48 घंटों में सूचना मिलनी चाहिए, जबकि थर्ड पार्टी यानी प्राइवेट कंपनियों के मामले में 45 दिन की लिमिट है। ऐसा न होने पर संबंधित विभाग के संबंधित अधिकारी पर 250 रुपये रोजाना के हिसाब से 25 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।