25 जून 1975, की वो तारीख जिसे काला दिवस कहा जाता है। इसी तारीख को देश में आपातकाल लागू किया गया और जनता के सभी नागरिक अधिकार छीन लिए गए थे। इंदिरा गांधी ने भारत में 25 जून 1975 से लेकर 21 मार्च 1977 तक आपातकाल लागू किया था।
आपातकाल के दौरान 26 जून की सुबह तक जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई समेत तमाम बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए थे। आपातकाल के दौराव प्रेस की आजादी भी छीन ली गई थी उस दौरान कई अखबारों ने मुखर होकर आपातकाल का विरोध किया था।
आपातकाल के दौरान सबसे बड़ी चर्चा नसबंदी को लेकर मची थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक 60 लाख लोगों की नसबंदी आपातकाल के दौरान करा दी गई थी। इनमें 16 साल के किशोर से लेकर 70 साल के बुजुर्ग तक शामिल थे। यही नहीं गलत ऑपरेशन और इलाज में लापरवाही की वजह से करीब दो हजार लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। जानकारी के लिए बता दें कि नसबंदी का फैसला इंदिरा सरकार ने लिया जरुर था लेकिन इस फैसले को अमल में लाने के लिए इंद्रा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी को दिया गया। जो अपने सख्त फैसलों के लिए जाने जाते थे।
आपातकाल के दौरान लिया गया ये फैसला हिटलर के फैसले से भी क्रूर था। जर्मनी में हिटलर ने भी अपने शासन काल के दौरान 4 लाख लोगों की नसबंदी कराई थी। 21 महीने बाद जब आपातकाल खत्म हुआ तो सरकार के इसी फैसले की आलोचना सबसे ज्यादा हुई।
इस कारण लगाया गया था देश में आपातकाल -
1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने भारी मत से जीत हासिल की थी।इंदिरा गांधी ने अपने मुख्य विपक्षी राजनारायण सिंह को हराकर दूसरी बार प्रधानमंत्री का पद हासिल किया था।राजनारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनाव परिणामों को चुनौती दे दी। उनकी दलील थी कि इंदिरा गांधी ने चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया, चुनाव में तय सीमा से ज्यादा पैसा खर्च किया और गलत तरीके से मतदाताओं को प्रभावित किया।
बहरहाल, मामले की जांच चली और 12 जून, 1975 को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर दिया और उन्हें 6 सालों के लिए चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया।
साथ ही राजनारायण सिंह को विजयी घोषित कर दिया गया। लेकिन इंदिरा गांधी ने कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ जाकर इस्तीफा देने से इनकार कर दिया और इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की घोषणा की। इसी के साथ 26 जून को देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गई।