मातृत्व लाभ संशोधित विधेयक को एक अप्रैल 2017 से देश भर में लागू कर दिया गया है। सरकार ने इस विधेयक में कई नए परिवर्तन किए। इसके तहत 50 से ज्यादा कर्मचारियों वाले संस्थान में एक तय दूरी पर क्रेच सुविधा मुहैया कराना अनिवार्य किया गया है। संशोधित विधेयक में नौ से अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में कामगार महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि 12 से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दी गई है।
इस विधेयक के अंतर्गत अवकाश का लाभ प्रसव की संभावित तारीख से आठ हफ्ते पहले लिया जा सकता है। यहीं अगर इस विधेयक के संसोधन के पहले की बात करे तो 1961 के मूल कानून के तहत यह अवधि केवल छह हफ्ते की थी। अगर महिला के दो से अधिक बच्चे हैं तो उसे केवल 12 हफ्ते का ही अवकाश मिलेगा। इसका लाभ प्रसव की संभावित तारीख से छह हफ्ते पहले ही उठाया जा सकता है। मूल कानून में बच्चों की संख्या तय नहीं की गई थी।
सरकार द्नारा जारी नए संसोधन में उन महिलाओं को भी अवकाश मिलेगा जिन्होंने तीन महीने से कम उम्र के बच्चे को कानूनन गोद लिया है, इन महिलाओं को 12 हफ्ते का अवकाश दिया जाएगा।
बहरहाल संशोधित विधेयक में इस कानून का लाभ लेने के लिए बच्चों की संख्या तय कर दी गई है। हालांकि मूल कानून में यह प्रावधान नहीं था। यानी की दो बच्चों के बाद पैदा होने वाले बच्चों के समय पुराने कानून के तहत केवल 12 हफ्ते की छुट्टी ही मिल पाएगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक 25 फीसदी देशों में मातृत्व लाभ नियोक्ताओं द्वारा चुकाया जाता है। इनमें पाकिस्तान, नाइजीरिया और केन्या जैसे देश शामिल हैं। इसके अलावा 58 फीसदी देश जिनमें ऑस्ट्रेलिया और नार्वे शामिल हैं, गर्भवती महिलाओं को नकद लाभ मुहैया कराते हैं। 16 फीसदी देशों में नियोक्ता और सरकार दोनों मिलकर मातृत्व लाभ देते हैं।