उमर खय्याम का जन्म १८ मई साल १०४८ को उत्तर पूर्वी ईरान के निशाबुर (निशापुर) में एक खेमा बनाने वाले परिवार में हुआ था। उन्होंने कई गणितीय और वैज्ञानिक खोज की थीं। उमर खय्याम ने इस्लामिक ज्योतिष को भी नई पहचान दी। उनकी कविताएं या रुबाईयां (चार लाइनों में लिखी जाने वाली खास कविता) को अंग्रेजी कवि एडवर्ड फिज्जेराल्ड द्वारा अनुवाद किए जाने पर १८५९ के बाद ही प्रसिद्धि मिली। बता दें कि उमर खय्याम ने एक हजार से ज्यादा रुबायत और छंद लिखे हैं। एडवर्ड फिट्जगेराल्ड ने उनके काम का रुबायत ऑफ उमर खय्याम नाम से अनुवाद किया है।
साहित्य के अलावा उमर खय्याम गणितज्ञ भी थे। गणित में विशेष रुचि रखने वाले खय्याम ने ज्यामितीय बीजगणित की शुरुआत की और अल्जेब्रा से जुड़े इक्वेशंस के ज्यामिति से जुड़े हल प्रस्तुत किए। उमर खय्याम ने ही अल्जेब्रा में मौजूदा द्विघात समीकरण दिया। इसके अलावा उन्होंने पास्कल के ट्राइएंगल और बियोनमियस कोइफीसिएंट के ट्राइएंगल अरे का भी पहली बार प्रयोग किया।
इन्हें जलाली कैलेंडर (Jalali calendar) को शुरू करने का श्रेय भी जाता है। जलाली कैलेंडर एक सौर कैलेंडर (Solar Calendar) है, जिसे जलाली संवत (Jalali Sanvat) या सेल्जुक संवत भी कहा जाता है। ये एक तरह का सोलर कलैंडर है। जिसमें ३३ साल के दिन, तारीख, सप्ताह और लीप ईयर का पता लगाया जा सकता है। इसी कलैंडर के आधार पर बाद में कई कलैंडर तैयार किए गए। ये जलाली कैलेंडर आज भी इरान और अफगानिस्तान में इस्तेमाल किया जाता है। उमर खय्याम की मृत्यु ४ दिसंबर ११३१ में ८३ साल की उम्र में हुई। उनके शरीर को निशाबुर, ईरान में ही मौजूद खय्याम गार्डन (Khayyam Garden) में दफनाया गया।