मनोहर पर्रिकर का IIT से CM बनने तक का सफर

Aazad Staff

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मनोहर पर्रिकर देश के पहले आईआईटी ग्रेजुएट मुख्यमंत्री रहें। उन्होंने २६ साल की उम्र में आरएसएस का दामन थाम लिया था। और साल १९९० में उन्होंने रामजन्म भूमि आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। पर्रिकर की गिनती देश के सबसे साफ और ईमानदार नेताओं में की जाती थी।

गंभीर बीमारी के कारण गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का ६३ साल की उम्र में रविवार निधन हो गया। मनोहर पर्रिकर की बीमारी का पता चलने के बाद गोवा, मुंबई, दिल्ली और न्यूयॉर्क के अस्पतालों में इलाज कराया गया लेकिन १७ मार्च को उन्होंने जिंदगी को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। पर्रिकर की सादगी ऐसी थी कि उन्हें पक्ष विपक्ष के सभी नेता पसंद करते थे।

मनोहर पर्रिकर आइआइटी से पढ़ाई करने वाले पहले विधायक और मुख्यमंत्री भी थे। उन्होंने १९७८ में बॉम्बे आइआइटी से मेटलर्जिकल ट्रेड से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी। आइआइटी से पढ़ाई के दौरान ही मनोहर पर्रिकर ने यह तय लिया था कि वे सामाजिक क्षेत्र में काम करेंगे। पर्रिकर की चुनावी राजनीति की शुरुआत १९९४ में हुई, जब भाजपा के टिकट पर वह पणजी से विधायक चुने गए।

कांग्रेस के वर्चस्व वाले गोवा में भाजपा की नींव जमाने का श्रेय पर्रिकर को ही जाता है। साल २००० में गोवा में हुए विधान सभा चुनावों में भाजपा सत्ता में आई । सत्ता में आते ही पार्टी ने इस राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर पर्रिकर को चुना। गोवा में उनकी पहचान पीपुल्स सीएम के रूप में थी। कोई भी व्यक्ति उनसे मुलाकात कर सकता था।

२४ अक्टूबर को पर्रिकर ने बतौर गोवा का मुख्यमंत्री बन अपना कार्य शुरू कर दिया। लेकिन किन्हीं कारणों से उनका ये कार्यकाल ज्यादा समय तक नहीं चल पाया और २७ फरवरी २००२ को उन्हें अपनी ये कुर्सी छोड़नी पड़ी। वहीं ५ जून २००२ को फिर से उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया।

२००५ में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा जिसके कारण पर्रीकर को मुख्यमंत्री के पद को छोड़ना पड़ा। वहीं २०१२ में एक बार फिर से भाजपा सत्ता में आई और गोवा में एक बार फिर से भाजपा ने पर्रिकर को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाया।

२०१४ में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिली और पार्टी केंद्र में अपनी सरकार बनाने में कामयाब हुई। वहीं जब देश के रक्षा मंत्री को चुनने की बारी आई, तो भाजपा की पहली पसंद पर्रिकर बने और उन्होंने देश का रक्षा मंत्री बना दिया गया।

देश के रक्षा मंत्री बनने के लिए पर्रिकर को अपना मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा और उनकी जगह लक्ष्मीकांत को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। मनोहर पर्रिकर के रक्षा मंत्री रहते हुए भारतीय सेना ने दो बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया था। २०१५ में म्यांमार की सीमा में भारतीय पैराकमांडो द्वारा घुसकर उग्रवादियों को मार गिराना और नवंबर २०१७ में हुई सर्जिकल स्ट्राइक। इस सर्जिकल स्ट्राइक में ३५से ५ आतंकियों को भारत के जवानों ने मार गिराया था।

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