आज देश में महिलाएं अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर उठान भर रही है। आज महिलाएं हर उस मुकाब पर पहुंच रहीं है जो कभी एक सपने सा लगता था। आज हम आपको इस लेख में ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने इस मुकाम को पाने के लिए कई संघर्षों का सामना किया और भारत ही नहीं एशिया में पहली सुप्रीम कोर्ट की महिला जज होने का खिताब अपने नाम किया। एम. फातिमा बीवी पहली ऐसी महिला है जो सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला जज के तौर पर नियुक्त हुई थी।
न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी का जन्म केरल के पथानामथिट्टा में हुआ था। उनके पिता का नाम मीरा साहिब और माँ का नाम खदीजा बीबी है। उनकी विद्यालयी शिक्षा कैथीलोकेट हाई स्कूल, पथानामथिट्टा से हुई। उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज, त्रिवेंद्रम से स्नातक और लॉ कॉलेज, त्रिवेंद्रम से एल एल बी किया। 1950 में उन्होंने ?बार काउंसिल ऑफ इंडिया? की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
14 नवम्बर, 1950 को एम. फातिमा बीवी पहली बार एक वकील के रूप में नामांकित हुईं। उन्होंने केरल की एक निचली न्यायपालिका से अपने करियर की शुरूात की थी। मई, 1958 में केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवा में वह मुंसिफ़ के रूप में नियुक्त की गईं। सन् 1968 में अधीनस्थ न्यायधीश के रूप में वह पदोन्नति हुईं। सन् 1972 में वह मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बनीं। 1974 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रुप में नियुक्त हुई।
1980 में आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल की न्यायिक सदस्य और 8 अप्रैल 1983 को उन्हें उच्च न्यायालय में एक न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 06 अक्टूबर 1989 को वे सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश नियुक्त हुई। जहां से 24 अप्रैल 1992 को वे सेवा निवृत हुई। भारत ही नहीं पूरे एशिया में वह इस पद को प्राप्त करने वाली पहली महिला थी। गौरतलब है कि आज़ादी के बाद से अब तक सुप्रीम कोर्ट में केवल 6 महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई है। जस्टिस फातिमा बीबी उच्चतम न्यायालय में नियुक्त की गई पहली महिला जज थीं।
जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस समेत कुल 31 न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान है।उन्होंने न सिर्फ एक न्यायाधीश के रूप में देश को अपनी सेवाएं दीं बल्कि वह तमिलनाडु की गवर्नर भी रहीं। 25 जनवरी,1997 को उन्हें तमिलनाडु का गवर्नर नियुक्त किया गया।