जानिये कब, और कैसे हुई थी नववर्ष की शुरुआत

Aazad Staff

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नव वर्ष की शुरुआत सबसे पहले रोमन साम्राज्य में हुई। प्राचीन रोम में नव वर्ष 6 दिनों तक मनाया जाता था। इसके बाद से ये परंपरा इग्लैंड में पहुंची और धीरे धीरे इस परंपरा को हर देश ने स्वीकार किया और हर साल एक जनवरी को एक साल के रुप में मनाया जाने लगा।

नव वर्ष की शुरुआत को लेकर कई सारे तर्क दिए जाते है। कुछ लोगों का मानना है कि नव वर्ष मनाने की शुरुआत तकरीबन 4000 वर्ष पहले हुई थी जिसे बेबीलीन नामक स्थान पर मनाया गया था। वहीं कुछ लोग इस दिन को ग्रिगोरियन कैलेंडर से जोड़ते है। लोगों का ऐसा मानना है कि जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर बनाया। हालांकि शुरुआत में इस कैलेंडर में कई सारी खामिया निकाली गई। जिसके कारण क्रिसमस की तारीख कभी भी एक दिन में नहीं आया करती थी।

क्रिसमस ईसाईयों के बीच बहुत खास त्यौहार होता है। इसी दिन प्रभु यीशु का जन्म हुआ था। यीशु ने लोगों के हितों के लिए अपनी जान दी और इनके इस त्याग को हर साल क्रिसमस के तौर पर मनाया जाता है। इसी वजह से अमेरिका के नेपल्स के फिजीशियन एलॉयसिस लिलिअस ने एक नया कैलेंडर जारी किया। रूस के जूलियन कैंलेंडर में कई सुधार हुए और इसे 24 फरवरी को राजकीय आदेश से औपचारिक तौर पर अपना लिया गया। यह राजकीय आदेश पोप ग्रिगोरी ने दिया था, इसीलिए उन्हीं के नाम पर इस कैलेंडर का नाम ग्रिगोरियन रखा गय 15 अक्टूबर 1582 को लागू कर दिया गया। और इस कैलेंडर के मुताबिक हर साल 1 जनवरी को नए साल के रुप में मनाने की प्रथा शुरु कर दी गई।

नए साल पर लिए जाने वाले रेजोल्यूशन (संकल्प) की भी शुरूआत रोम से ही हुई थी। इसके पीछे की मान्यता के मुताबिक, नए साल पर लिए गए संकल्प पूरे साल हमें आगे बढ़ने में मदद करते हैं। जिससे हम अपनी बुरी आदतों तक को भी छोड़ सकते हैं। इसलिए ही तब से पूरी दुनिया में भी धीरे-धीरे लोग नव वल्ष पर रेजोल्यूशन लेते हैं। रोम के बाद नव वर्ष पर रेजोल्यूशन की पंरपरा मिस्र, ग्रीक और मेसोपेटामिया की संस्कृतियों में भी पाई गई।

भारत में नए साल की शुरुआत विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग तारीखों के आधार पर होती है -

पंजाब में नया साल बैशाखी के रूप में 13 अप्रैल को मनाया जाता है।

जैन धर्म के लोग नववर्ष को दिवाली के अगले दिन मनाते हैं। यह भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन से शुरू होता है।

हिन्दू धर्म में नववर्ष का आरंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी इसलिए इस दिन से नए साल का आरंभ भी होता है।

पारसी धर्म का नया वर्ष नवरोज उत्सव के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर 19 अगस्त को नवरोज का उत्सव मनाया जाता है। 3000 वर्ष पूर्व शाह जमशेदजी ने नवरोज मनाने की शुरुआत की थी।

इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम महीने की पहली तारीख को नया साल हिजरी शुरू होता है।

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