ढोकलाम विवाद

Sarita Pant

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ढोकलाम विवाद जो एक मामूली अनबन से बढ़कर तीन देशों के बीच एक पूर्ण युद्ध की संभावना बन गयी है। जहाँ भारत और उसका सहयोगी देश भूटान एक तरफ है, और इनका चिर प्रतिद्वंदी चीन दूसरी तरफ खड़ा है।

हाल के दशकों में भारत और चीन के बीच क्षेत्रीय संघर्ष सभी समय के उच्च स्तर पर है। भारतीय सैनिकों ने भारत-चीन सीमा पर ढोंकलाम क्षेत्र में जमकर कदम जमाया हुआ है। जिसे चीन अवैध रूप से अपना क्षेत्र कहता आ रहा है। चीन द्वारा भारत को 1962 से भी बड़ी परिणाम भुगतने की धमकी देने के बावजूद भारत सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार दिख रहा है। लगभग 300 भारतीय सैनिक ढोकलाम में लगभग उतने ही चीनी सैनिकों के सामने लगभग एक ही सौ मीटर की दूरी पर जमे हुए है। यह ढोकलाम क्षेत्र ही दोनों देशों के बीच विवाद का मुद्दा बन गया है, और कोई भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है।

आइए जानते हैं की ढोकलाम भारत चीन और भूटान के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण है, और ढोकलाम है कहां।
ढोकलाम पठार एक 89 वर्ग किलोमीटर चारागाह है। जो कि भारत,भूटान,चीन के त्रिकोणीय जंक्शन के किनारे पर स्थित कटार आकार की चुम्बी घाटी में स्थित है। ढोकलाम ऐसी जगह है, जहां तीन देशों भारत, चीन और भूटान की सीमाएं मिलते हैं।

दरअसल ढोकलाम पर चीन और भूटान दोनों अपना दावा करते हैं और यह एक विवादित क्षेत्र रहा है। 8 जून की रात को चीन ने इस क्षेत्र में कुछ पैतरेबाजी शुरू की जिसके कारण हाल के वर्षों में भारत और चीन के बीच खतरनाक तनातनी के लिए जिम्मेवार है।

चीन की सेना की एक पलटन द्वारा भूटान के रॉयल भूटान आर्मी द्वारा बनाया गया दो पत्थर के बंकरो को तोड़ दिया गया, और वहां अवैध रूप से एक सड़क का निर्माण कार्य चालू कर दिया गया। भूटान की सेना के अनुरोध पर भारत ने हस्तक्षेप किया और सड़क निर्माण कार्य को भारतीय सैनिकों द्वारा रोक दिया गया। छोटा सा यह विवाद अब बड़ा रूप लेकर दोनों देशों के बीच भयंकर गतिरोध का कारण बन गया है।

चीन का आरोप

चीन ने भारत पर भूटान की संप्रभुता का उल्लंघन करते हुए और भूटान की आड़ में चीन की सीमा का अवैध उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। जबकि भारत का कहना है कि वह हिमालयी देश भूटान का रक्षा करता रहेगा। भूटान का चीन के साथ कोई कूटनीतिक संबंध नहीं है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंस वांग ने कहा,"कि भारत और भूटान के बीच सामान्य द्वीपक्षी संबंध पर हमें कोई आपत्ति नहीं है " लेकिन भूटान का उपयोग करते हुए भारत का चीनी क्षेत्र पर उल्लंघन का वह पूर्ण विरोध करते हैं।

भारत की चिंता

भारत की चिंता अपने कमजोर सिलीगुड़ी कॉरीडोर और "चिकन की गर्दन" की सुरक्षा की है।जो की भूमि का एक संकीर्ण मार्ग है जो भारत को उसकी उत्तर पूर्व को मुख्य भूमि के साथ जोड़ता है। अगर चीन सड़क निर्माण करता है, तो यह भारत के इस चिकन नेक के पास पहुंच जाएगा और संकट के समय भारत का संबंध उसके उत्तर पूर्व से काट सकता है।

इसके बाद कि संभावनाएं।

क्योंकि कोई भी देश पीछे हटने को तैयार नहीं है, अतः विशेषज्ञों का मानना है कि ढोकलाम के मामले में एशिया के इन दोनों देशों के बीच पूर्ण युद्ध की छमता है। लेकिन अभी भी कुछ लोगों को इस मुद्दे की शांतिपूर्ण समाधान की आशा है। चीनी क्षेत्र से अपने सैनिकों को वापस लेने और भारत के अपने पेपर ग्लोबल टाइम्स के माध्यम से धमकी दे रहे चीन ने भारत को 1962 के युद्ध से भी बड़ा परिणाम भुगतने की धमकी दी, तो जवाब में भारत के रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने भी जवाब दिया कि चीन वर्तमान भारत को 1962 के भारत जैसा समझने की गलती ना करें।

दोनों पक्षों में जबानी जंग जोरो शोरो से आरंभ है। दोनों पक्षो में से कोई भी पीछे हटने को राजी नहीं है। इस गतिरोध के कारण भारत और चीन के बीच एक और युद्ध भी हो सकता है।

वर्तमान गतिरोध के दौरान संभवता यह पांच चीजें हो सकती है

  1. भारत अपनी सेना वापस ले लेता है, और चीन सड़क निर्माण को जारी रखें जबकि ऐसा होने की संभावना नहीं लग रहा है।
  2. चीन और भारत दोनों अपनी सेना वापस ले लेते है और यथास्थिति बने रहने दे जो इस मुद्दे पर चीन आक्रामक रुख से होना संभव नही लग रहा।
  3. कोई भी पक्ष और गतिरोध जारी न रखकर यथास्थिति बनाये रखे, जो अरुणाचल प्रदेश में 1987 में सुमधुर घाटी की घटना का दुहराना हो जाएगा। जहां दोनों सेनाये एक दूसरे के सामने महीनों से खड़ी थी।
  4. दोनों देश कूटनीति के माध्यम से इस समस्या का हल निकालें और सेनाये वापस ले। जो इसका सबसे अच्छा समाधान होगा।
  5. दोनों परमाणु सम्पन्न देशो के बीच एक पूर्ण युद्ध हो।

चीन ढोकलाम में टकराव की स्थिति नही चाहेगा। क्योंकि भारत की स्थिति यहां मजबूत है। इसके बजाय चीन,अरुणांचल जैसा कोई अन्य मोर्चा खोल सकता है। चीन ने पहले ही पाकिस्तान की ओर से कश्मीर में प्रवेश करने की भारत को धमकी दी है।

ढोकलाम मुद्दे को निश्चित रुप से एक राजनयिक समाधान की आवश्यकता है, लेकिन भारत ने अभी तक जो स्टैंड लिया है उसके विरोध भी नहीं किया जा सकता। क्योंकि अब तक भारत ने चीन की हेकड़ी का सटीक जवाब नही दिया है।और अगर भारत एशिया की एक महासक्ति बनना चाहता है तो कभी न कभी उसे चीन से टकराना ही पड़ेगा।

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