7 दिसंबर को देश भर में सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है। इस दिन को देश की सेना के प्रति सम्मान प्रकट करने के रुप में मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत 1949 में आज ही के दिन हुई थी। हालांकि शुरुआत में इस दिन को झंड़ा दिवस के रुप में जाना जाता था। साल 1993 में इसका नाम बदल कर 'सशस्त्र सेना झंडा दिवस' कर दिया गया।
ये उन जांबाज सैनिकों के प्रति एकजुटता दिखाने का दिन है जो देश की तरफ आंख उठाकर देखने वालों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए।
इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य -
सशस्त्र झंडा दिवस देश की सुरक्षा में शहीद हुए सैनिकों के परिवार के लोगों के कल्याण के लिए मनाया जाता है। इस दिन झंडे की खरीद से इकठ्ठा हुए धन को शहीद सैनिकों के आश्रितों के कल्याण में खर्च किया जाता है।
इस दिन आप सैनिकों और उनके परिवारों वालों के कल्?याण के लिए 10 रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक दे सकते हैं और इसके बदले में आपको झंडा दिया जाएगा। यह राशि देश के जवानों के अलावा उनके परिजन के लिए भी मददगार होती है| यह कोष दिव्यांग सैनिकों, युद्ध में शहीदों की विधवा और उनके परिवार-बच्चों के कल्याण में खर्च की जाती है।
कौन करता है कोष जमा
जनता द्वारा सैनिकों के लिए दी जाने वाली राशि को ?केंद्रीय सैनिक बोर्ड? द्वारा जमा किया जाता है| बता दें कि केंद्रीय सैनिक बोर्ड रक्षा मंत्रालय का एक हिस्?सा है।