Dhola Sadiya Bridge: India's Longest bridge

Aazad Staff

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धौला-सादिया पुल बनने से अरुणाचल और असम की दूरी १६५ किलोमीटर कम हो जायेगी | Dhola-Sadiya bridge is the longest bridge in India connecting Arunachal Pradesh and Assam. It has been named as the Bhupen Hazarika Setu

धौला सादिया पुल (बन कर तैयार है महासेतु ) Dhola Sadiya Bridge (Bhupen Hazarika Setu) - India's Longest bridge

धौला सादिया पुल ९.५ (9.5) किलोमीटर लम्बा है, ब्रम्हपुत्र नदी के ऊपर ये पुल बना है, यह पुल ब्रह्मपुत्र नदी पर ९.१५(9.15) किलोमीटर लम्बा ब्रिज है , सामाजिक लिहाज से ये धौला-सादिया पुल की काफी अहम् भूमिका रखता है | पुल बनने से अरुणाचल और असम के लोगो में काफी उत्साह है | इस पुल के बनने से अरुणाचल में सैनिक साजो-सामान की आवाजाही भी आसान हो जायेगी | धौला-सादिया पुल बनने से अरुणाचल और असम की दूरी १६५(165) किलोमीटर कम हो जायेगी |

सेना के लिए धौला-सादिया पुल वरदान महासेतु का काम करेगा | इस ब्रिज के जरिये चीन सीमा तक पहुंचना बहुत ही आसान हो जायेगा | धौला-सादिया का उद्घाटन २६ मई को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दवारा हो रहा है | धौला-सादिया पुल ब्रह्मपुत्र के सीने पर इंजीनियरिंग का बड़ा कमाल है | धौला-सादिया पुल बनने से सेना के ६० टन वजनी टैंक अब पुल से गुजर सकेगे | ये ब्रिज एक गेम-चंगेर का काम करेगा |

धौला-सादिया पुल एशिया का सबसे लम्बा पुल है, यह पुल प्रधान-मंत्री मोदी जी के लिये एक महासेतु है, पहले भारतीये सेना लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल तक नहीं पहुंच पाती थी, रोइंग तक पहुचने के लिये उन्हे काफी मुश्कात करनी पड़ती थी और अरुणाचल तक पहुंचने के लिये काफी दिकतो का सामना करना पड़ता था | अब इस ९. १५ (9.15)पुल बन जाने से टैंक की अववा जाहि पर भी आसानी होगी, धौला-सादिया पुल का निर्माण ९५० (950) करोड़ रुपये में सबसे लम्बे पुल का निर्माण हुआ है और यह अब हर मौसम में खुला रहेगा, अब अरुणाचल प्रदेश के सरहदी इलाकों में तेजी से पंहुचा जा सकेगा |

धौला-सादिया पुल के निर्माड पर चीन की नजरे टेडी थी, धौला-सादिया पुल का निर्माड २०११ में शुरू हुआ और पाँच वर्षो तक लगातार काम होने के बाद २०१६ के अंत तक पूरी तरह बन कर तैयार हो गया | २०१७ के शुरुवात में पुल की फिनिशिंग हुई और आज इसका उद्घाटन हुआ |

धौला-सादिया पुल से चार पांच घंटे का रास्ता अब १०(10) मिनट में पूरा किया जा सकेगा, जिससे वहा के लोगो में काफी उत्साह है | स्तानीय लोगो को अब यह उम्मीद है कि धौला-सादिया पुल बनने से उनके पास विकास की रौशनी पहुंचेगी |

आज हर कोई इस इंजीनियरिंग कमाल को देख कर गर्व महसूस केर रहा है | लेकिन आज से ६ साल पहले यह हालत नहीं थे यह सारा इलाका भूकप के छेत्र में आता था लेकिन धौला-सादिया पुल को बनने में एक ख़ास तकनीक का इस्तेमाल किया गया है |

इससे तिनसुकिया के लोग बहुत खुश है पहले स्थनीय लोग यह सफर फेयरी और नाव से पूरा करते थे , फेयरी का लोग इस्तेमाल करते थे और पूरे दिन में यह फेयरी पांच चक्कर लगाती है और रात के समय यह फेयरी बंद हो जाती थी और कोई बीमार हो तो उसके लिये यात्रा करना मुश्किल होता था , रास्ते में कई लोग मर् भी जाते थे |

मोटरसाइकिल और मोटर सब फेयरी के दवरा लायी जाती थीं , इससे विकास की कई उम्मीद है लोग को, यह ब्रिज लोगो के कई लिये रीड की हड्डी का काम करेगा |

प्र्धान मंत्री मोदी ने इस पुल का नाम भूपेन- हज़ारी के नाम से रखने का निर्णय किया है | इस पुल के बनने से रोजगार में वृधि होगी, ये पुल अर्थक्रांति का आविष्कार करेगा | इस पुल के बनने से दो राज्यों में लगाव बढ़ेगा | इस पुल के बनने से हिंदुस्तान को गर्व है |

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