ब्लैक होल हमेशा से उत्सुकता व रहस्यों से भरा विषय रहा है। हर वैज्ञानिक और शोधकर्ता कई सालों से ये जानने में लगे है कि आखिर ब्लैक होल दिखता कैसा है। ऐसा माना जाता है कि ब्लैक होल में जाने के बाद कोई भी चीज हमेशा के लिए आखों से ओझल हो जाती है। खगोल विज्ञानियों ने बुधवार को ब्लैक होल की पहली तस्वीर खोज निकाली है।
ब्लैक होल की तस्वीर इवेंट हॉरिजन टेलिस्कोप द्वारा ली गई होगी। इवेंट हॉरिजन टेलिस्कोप को दुनिया भर के छह जगहों पर लगाया गया। इस टेलिस्कोप को खास तौर पर ब्लैक होल की तस्वीर लेने की लिए ही बनाया गया है।
बता दें कि ये ६ टेलिस्कोप हवाई, एरिजोना, स्पेन, मेक्सिको, चिली और दक्षिणी ध्रुव में लगाए गए हैं। इन टेलिस्कोप्स को जोड़कर एक बड़ा आभासी टेलिस्कॉप बनाया गया। इन टेलिस्कोप्स से मिले डाटा को सुपरकंप्यूटर में स्टोर किया जाएगा।
ब्लैक होल जिस आकाश गंगा में हैं, उसका नाम मेसियर ८७ है। करीब १० दिनों तक टेलिस्कोप ने एम ८७ के ब्लैक होल की चमकीली रिंग के चारों तरफ बदलाव का अवलोकन किया। सभी टेलिस्कोप ने मिलकर ब्लैक होल के आसपास के कणों से विकिरण की तस्वीर कैद की।
क्या होता है ब्लैक होल
ब्लैक होल अंतरिक्ष में एक ऐसी जगह है जहां पर भौतिक विज्ञान का कोई नियम काम नहीं करता। ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण बहुत शक्तिशाली होता है। ये अपनी तरफ हर तरह की वस्तुओं को खिचता है। ऐसा माना जाता है कि इसके अंदर जो भी वस्तु प्रेवेश करती है वो बाहर नहीं आ सकती यहां तक की प्रकाश भी यहां प्रवेश करने के बाद बाहर नहीं निकल पाता है। यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है। ब्लैक होल के चारों ओर एक सीमा होती है। उस सीमा को घटना क्षितिज कहा जाता है। उसमें किसी भी प्रकार की वस्तुएं गिर तो सकती है लेकिन वापस नहीं आ सकती। इसलिए इसे ब्लैक होल का नाम दिया गया है।
वैज्ञानिक ब्लैक होल को लेकर वैज्ञानिक ये भी तर्क देते आए है कि बड़े ब्लैक होल में आप अपना पूरा जीवन सामान्य तौर पर बिता सकते हैं। हालांकि ये कितना सामान्य हो सकता है, ये एक रहस्यमय विषय है। इसमें स्पेस और टाइम का कोई मतलब नहीं होगा। यहां आपकी कोई इच्छा काम नहीं करेगी। इतना ही नहीं आप दूसरी ओर पलट भी नहीं सकते हैं। जब आप इसके बारे में सोचते हैं तो पाते हैं कि ये समय से जुड़ा अनुभव है। समय केवल आगे बढ़ता है। पीछे की ओर नहीं बढ़ता है। यह हमारी इच्छाओं के खिलाफ भी बढ़ता है और हमें पीछे टर्न लेने से रोकता है। यानी साफ है कि आप ब्लैक होल में पलट नहीं सकते हैं और ना ही ब्लैक होल को छोड़ कर भाग सकते हैं।
ब्लैक होल दो तरह के होते हैं-
पहली तरह के ब्लैक होल - तब बनते हैं जब किसी बहुत बड़े तारे का केंद्र अपने आप ख़त्म हो जाता है। इस प्रक्रिया से Supernova बनता है। यह पॉवर के मामले में सूरज के मुकाबले २० गुना अधिक बड़ा होता है। Supermassive Black Hole सूरज के मुकाबले कम से कम दस लाख गुना बड़ा होता है। वैज्ञानिकों ने यह ध्यान दिया है की इस तरह के जायंट हमारी अपनी गैलेक्सी Milky Way समेत हर बड़ी गैलेक्सी के मध्य में है। इवेंट होराइजन टेलिस्कोप द्वारा ट्रैक किए गए दोनों Black Hole इसी प्रकार के थे।
दूसरा ब्लैक होल सबसे बड़ा माना जाता है। यह सूरज से ६ बिलियन गुना ज्यादा बड़ा है। यह हमारे ग्रह से कुछ ५० मिलियन लाइट वर्ष दूर है। यह गैलेक्सी एण८७ के मध्य में है। तो अगर खगोल वैज्ञानिक Black Hole नहीं देख पाते, तब भी वो यह देख पाते हैं की उनके आस-पास या इवेंट होराइजन पर क्या होता है। इसे "point of no return" के नाम से भी जाना जाता है।