वैज्ञान लगातार कई नई दिशाओं में प्रगती करता जा रहा है। मानव शरिर को लेकर वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसी खोज की है जो इसंनों को कैसर जैसी बीमारी से निजात दिला सकती है तो वहीं दूसरी तरफ प्रजनन संबंधी इलाज में भी सहायक सिद्ध हो सकती है।
एक जानकारी के मुताबिक वैज्ञानिकों ने इंसान के शरीर से बाहर प्रयोगशाला में इंसान के अंडे विकसित करने में सफलता हासिल की है।
एडिनबरा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों का मानना है कि इस नए प्रयोग से न केवल यह समझने में मदद मिलेगी कि मानव अंडे किस प्रकार से बनते हैं बल्कि यह कीमोथेरेपी अथवा रेडियोथेरेपी से गुजर रही महिलाओं जिनमें समयपूर्व प्रजनन क्षमता का हृास हो जाता है उनके लिए उम्मीद की नई किरण दिखाएगा।
वैज्ञानिकों के मुताबिक़ यह तकनीक उन बच्चियों के अंडे बचाने के लिए वरदान साबित हो सकती है जिनका कैंसर का इलाज चल रहा है। हालांकि इस तकनीक को असलियत में इस्तेमाल किए जाने से पहले अभी इस पर काफ़ी काम किया जाना बाक़ी है।
कैंसर में इस तरह से कार्यगर होगी ये तकनीक-
कैंसर के इलाज के दौरान की जाने वाली कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी से बांझ होने का ख़तरा रहता है.महिलाएं इलाज शुरू करने से पहले अपने अंडे फ़्रीज़ करा सकती हैं।यहां तक कि फ़र्टिलाइज़ किए गए भ्रूण भी लैब में सुरक्षित रखे जा सकते हैं.लेकिन कैंसर से जूझ रही बच्चियां (जो किशोर नहीं हुईं) ऐसा नहीं कर पातीं क्योंकि उनका मासिक धर्म शुरू ही नहीं हुआ होता। फ़िलहाल ऐसी बच्चियां इलाज शुरू करने से पहले ओवरी (अंडाशय) के टिश्यू को फ़्रीज़ करा सकती हैं जो बड़े होने पर शरीर में वापिस लगाया जा सकता है।