मानव शव से खेती के लिए खाद बनाने को US ने दी मंजूरी

Aazad Staff

Science

मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए सिर्फ गोबर और दूसरे केमिकल युक्त फर्टिलाइजर का प्रयोग किया जाता रहा है। लेकिन अब मिट्टी को उपजाऊ व खेती के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए मानव शव का प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए अमेरिका ने कानूनी मंजूरी दे दी है।

मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए अक्सर कई तरह के खादो का इस्तेमाल किया जाता रहा है लेकिन क्या आपने ये सोचा है कि मानव के शव से भी खाद बनाया जा सकता है। जी हां अब मानव शव का इस्तेमाल खाद बनाने के तौर पर किया जाएगा और ऐसा करने वाला अमेरिका का वॉशिंगटन इस बिल को कानूनी तौर पर मंजूरी देने वाला दुनिया का पहला राज्य बन गया है। इससे अंतिम संस्कार के समय रिलीज होने वाले कार्बन में कमी आएगी, जिससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। इस प्रक्रिया को री-कम्पोजिशन कहा जाता है।

इस प्रक्रिया के तहत लोगों के पास यह विकल्प होगा कि वे खुद के शव को खाद बनाने के लिए दे सकें। बता दें कि ये नया नियम अगले साल मई से लागू होगा। रीकम्पोज की संस्थापक कैटरीना स्पेड का कहना है- रीकम्पोजिशन शव को दफनाने या अंतिम संस्कार का विकल्प प्रदान करता है। यह प्राकृतिक होने के साथ सुरक्षित और टिकाऊ है। इससे न केवल कार्बन उत्सर्जन रुकेगा बल्कि जमीन की भी बचत होगी। बता दे, सिएटल की एक कंपनी रीकम्पोज ने सबसे पहले मानव खाद बनाने का ऑफर दिया था।

कैटरीना के मुताबिक, ??री-कम्पोजिशन की प्रक्रिया में हड्डियां और दांत तक पूरी तरह से गल गए। हमने ज्यादा तापमान बनाए रखा ताकि बैक्टीरिया (माइक्रोब्स) शवों को पूरी तरह से गला दें।?? रीकम्पोज प्रक्रिया में पहले जानवरों के शव को गलाकर खाद बनाई जाती थी। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी ने पाया कि प्रक्रिया इंसानों के शव में भी कारगर है।

कैसे होगा री-कम्पोजिशन
री-कम्पोजिशन के लिए डेड बॉडी को एक स्टील के बक्से में, अल्फाल्फा और लकड़ी के बुरादे के साथ डाला जाता है. प्रोसेसिंग के लिए इसे तीस दिन के लिए रखा जाता है और इसके बाद डेड बॉडी गमलो में डाली जाने वाली मिट्टी में परिवर्तित हो जाती है. इस प्रक्रिया में किसी भी केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता, सिर्फ नेचुरल प्रोडक्ट्स का ही इस्तेमाल किया जाता है।

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