उत्तर प्रदेश में संगठित अपराधों पर रोकधाम के लिए योगी सरकार ने यूपीकोका कानून लाने की तैयारी के बीच एक बड़ा फैसला लिया है। उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चल रहे केस को वापस लेने का फैसला किया गया है। इस मामले में 1995 में शिव प्रताप शुक्ला, शीतल पांडे व अन्य 10 के खिलाफ दर्ज मामले को वापस ले लिया है।
गौरतलब है कि यह मामला गोरखपुर के पीपीगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था, इस मामले में स्थानीय कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।
दरअसल पीपीगंज पुलिस स्टेशन के रिकॉर्ड के अनुसार, आईपीसी की धारा 188 के अंतर्गत योगी आदित्यनाथ और 14 अन्य लोगों के खिलाफ 27 मई, 1995 को मामला दर्ज किया गया था। जिला प्रशासन द्वारा निषेधाज्ञा लागू होने के बाद पिपिगंज शहर में एक बैठक आयोजित करने के लिए दायर किया गया था।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एडीएम ने कहा कि मैंने राज्य सरकार के पत्र को निर्देश दिया है कि अदालत में एक वापसी आवेदन दर्ज किया जाए। राज्य सरकार द्वारा भेजे गए आवेदन में योगी आदित्यनाथ सहित 13 नाम हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन सर्दियों की छुट्टी के बाद अदालत में वापसी आवेदन दाखिल करेगी।
बता दें कि इस मामले में शिव प्रताप शुक्ला का नाम भी शामिल है जो मौजूदा समय में वित्त राज्यमंत्री का पदभार संभाल रहे है, जबकि शीतल पांडे सहजनवा से भाजपा विधायक हैं। आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुए थे जिसकी वजह से इनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।
बता दें कि 21 दिसंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा से कहा था कि 20 हजार जनप्रतिनिधियों के ऊपर लगे केस वापस लिए जाएंगे।