उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Adityanath Government) ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ा झटका दिया है। प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले छह भत्तों को अब खत्म कर दिया गया है। सरकार के इस फैसले के बाद प्रदेश के करीब ८ लाख कर्मचारियों पर इसका असर पड़ेगा।
अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल ने २२ अगस्त को इसका शासनादेश जारी कर दिया। सरकार द्वारा खत्म किए गए भत्तों में स्नातकोत्तर भत्ता (Postgraduate allowance) भी शामिल है जिसके तहत अधिकतम ४,५०० रुपए मिलते थे। सिंचाई विभाग के कर्मचारियों को पहले परियोजना भत्ता दिया जाता था जो अब बंद कर दिया गया है। ये भत्ता कार्यस्थल के पास आवासीय सुविधा न होने की स्थिति में दिया जाता था।
कैश हैंडलिंग भत्ते को भी खत्म कर दिया गया। जो कैशियर, स्टोरकीपर और एकाउंटेंट को कीमती वस्तुओं की रक्षा के एवज में दिया जाता था जो खत्म कर दिया गया है। स्वैच्छिक परिवार कल्याण प्रोत्साहन भत्ते के तहत सीमित परिवार के प्रति जागरुकता के लिए २१० रुपए से लेकर १ हजार रुपए दिए जाते थे उसे भी योगी सरकार ने बंद कर दिया है।
प्रदेश सरकार पहले द्विभाषी प्रोत्साहन भत्ते के रूप में कर्मचारियों को १०० रुपए से लेकर ३०० रुपए तक प्रति माह दिया जाता था उसको भी समाप्त कर दिया गया है। सरकार द्वारा इन भत्तों को खत्म करने को लेकर शासनादेश जारी कर दिया गया है। अब इनकी कोई प्रसंगिकता नहीं रह गई है।
हालांकि राज्य वेतन समिति ने सिफारिश की थी कि जिन कर्मचारियों को ये सभी भत्ता मिल रहा है उसे यथावत बनाए रखा जाए, लेकिन आगे से किसी भी भत्ते को मंजूर न किया जाए। लेकिन अपर मुख्य सचिव वित्त के आदेश के बाद पहले से कर्मचारियों को मिल रहे भत्ते को भी अब खत्म कर दिया गया है।