त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत के बाद राज्य से तोड़फोड़ और मारपीट के बाद अब वामपंथी स्मारकों को तोड़ने की खबर सामने आई है। राज्य में जगह-जगह हिंसा भड़काई गई इतना ही नहीं त्रिपुरा में स्थित सीपीआईएम के कार्यालयों में भी तोड़फोड़ की गई।
त्रिपुरा के बेलोनिया में बलुडोजर से व्लादिमीर लेनिन की मूर्ति को तोड़ कर गिरा दिया। मूर्ति गिराने के दौरान वहां खड़े लोगों ने भारत माता की जय के नारे लगाने शुरु कर दिए ।
सोमवार को दो जगहों से हिंसा की ख़बर है जिसमें 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। राज्य में कई क्षेत्रों में धारा 144 भी लगाई गई है।
इस मामले में सीपीएम का आरोप है कि हिंसा भड़काने में बीजेपी और IPFT के कार्यकर्ता का हाथ है वहीं सीपीएम का कहना है कि बीजेपी और IPFT कार्यकर्ता न सिर्फ वामपंथी पार्टी के दफ़्तरों को निशाना बना रहे हैं बल्कि उनके कार्यकर्ताओं पर भी हमले किए जा रहे हैं
गौरतलब है कि सोमवार को दोपहर 3.30 बजे के करीब बीजेपी समर्थकों ने बेलोनिया में बुलडोजर की मदद से रूसी क्रांति के नायक व्लादिमिर लेनिन की मूर्ति को गिरा दिया इसके बाद राज्य में बीजेपी की जीत के बाद से कई इलाकों से तोड़फोड़ और हिंसा की खबरें भी आने लगी।
व्लादिमीर इलीइच लेनिन का इतिहास
व्लादिमीर इलीइच लेनिन का असली नाम 'उल्यानोव' था। लेनिन के पिता विद्यालयों के निरीक्षक थे। ग्रेजुएट होने के बाद भी लेनिन ने 1887 में कजान विश्वविद्यालय के विधि विभाग में एडमिशन लिया, लेकिन विद्यार्थियों के क्रांतिकारी प्रदर्शन में हिस्सा लेने के कारण विश्वविद्यालय ने निष्कासित कर दिया। साल 1889 में उन्होंने स्थानीय मार्क्सवादियों का संगठन बनाया। उसके बाद उन्होंने वकालात शुरू की और मार्क्सवादियों के नेता बने। अपनी क्रांति के दौरान उन्हें जेल में भी जाना पड़ा और उन्होंने कई किताबें भी लिखी। मार्क्सवादी विचारक लेनिन के नेतृत्व में 1917 में रूस की क्रांति हुई थी।
रूसी कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक पार्टी) के संस्थापक लेनिन के मार्क्सवादी विचारों को 'लेनिनवाद' के नाम से जाना जाता है। रूस के इतिहास में लेनिन का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। यहां तक कि विश्व की राजनीति को उन्होंने एक नया रंग दिया। रूस को क्रांति का रास्ता दिखाकर सत्ता तक पहुंचाने में व्लादिमीर लेनिन का अहम योगदान था। उस दौरान लोगों के दिल में विश्वयुद्ध को लेकर बहुत गुस्सा था। उसके बाद बोलशेविक खेमे के लोग सरकार के खिलाफ उतर आए। धीरे-धीरे बोलशेविकों ने सरकारी इमारतों में कब्जा करना शुरू कर दिया। इस तरह से सत्ता में बोलशेविक काबिज हो गए। ये रूसी क्रांति थी, जिसने रूस का भविष्य बदल दिया और बोलशेविक सत्ता में आए और व्लादिमीर लेनिन सत्ता में आए।