मशहूर कवि व गीतकार गोपालदास नीरज का बुधवार को निधन हो गया। वे काफी समय से बीमार चल रहे थे। बुधवार की शाम को तबियत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें आगरा से दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। फेफड़ों में संक्रमण से बढ़ती तकलीफ ज्यादा बढ़ने से उन्हें सांस लेने में परेशानी होनी लगी थी। बुधवार को डाक्टरों ने नली डालकर 800 ग्राम मवाद बाहर निकाला था।
जानकारी के मुताबिक गोपालदास नीरज जी का पार्थिव शरीर शुक्रवार को एम्स में ही रखा जाएगा। इसके बाद शनिवार को लोगो के अंतिम दर्शन के लिए आगरा में सुबह 4 घण्टे रखा जाएगा। वहां से अलीगढ़ ले जाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरवाली गांव में 4 जनवरी 1925 को जन्मे गोपालदास नीरज को हिंदी के उन कवियों में शुमार किया जाता है जिन्होंने मंच पर कविता को नयी बुलंदियों तक पहुंचाया। 1958 में लखनऊ रेडियो से पहली बार उन्होंने 'कारवां गुज़र गया' पढ़ी थी. उन्होंने मुझे बतलाया था कि मुंबई वालों ने वही गीत सुनकर उन्हें बुला लिया कि ये हिंदी का कौन आदमी है जो कारवां जैसे शब्द लिख रहा है।
शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार सम्मानित किया। 1991 में पद्मश्री और 2007 में पद्मभूषण पुरस्कार प्रदान किया गया। गोपाल दास नीरज को विश्व उर्दू पुरस्कार से भी नवाजा गया था।