निचली जाती को दर्शाने के लिए भारत में मीडिया ?दलित? शब्द का प्रयोग करती आ रही है लेकिन आने वाले समय में इस शब्द के इस्तमाल पर बहुत जल्द रोक लगने वाली है।
प्रेस परिषद एक महीने के अंदर ही मीडिया के लिए एक एडवाइजरी जारी करने वाला है। इसमें कहा जाएगा कि मीडिया अपनी खबरों में ?दलित? शब्द का इस्तेमाल न करें। सूत्रों का कहना है कि यह कदम उठाने की जरूरत तब महसूस हुई है जब कुछ दिन पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को निर्देशित किया है कि वह सरकारी अधिकारियों को निर्देशित करें कि वह अपने सर्कुलर में दलित शब्द का इस्तेमाल न करें। मंत्रालय प्रेस परिषद को अदालत के फैसले का अध्ययन करने को कहेगा।
गौरतलब है कि 15 मार्च को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी करके भारत सरकार के सारे मंत्रालयों को ये सूचितक किया था कि दलित शब्द की जगह, अनुसूचित जाति या फिर अनुसूचित जनजाति का उपयोग किया जाए।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा 21 जनवरी को दिए निर्णय के अनुसार सरकारी दस्तावेज और कई अन्य जगहों पर दलित शब्द के प्रयोग पर रोक लगाई थी। वहीं अब केंद्र ने सभी प्रदेशों में दलित शब्द का प्रयोग नहीं किए जाने का हवाला दिया है। बता दें कि इससे पहले तत्कालीन सरकार ने 10 फरवरी 1982 को नोटिफिकेशन जारी कर हरिजन शब्द पर भी रोक लगाई थी।