उत्तर प्रदेश में यूपी बोर्ड परीक्षा शुल्क में बढ़ोतरी कर दी गई इसके तहत माध्यमिक शिक्षा परिषद की २०२० में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा का शुल्क ढाई गुना बढ़ा दिया गया जिसके खिलाफ शिशको ने विरोध शुरु कर दिया है। शिक्षको ने इसे छात्र विरोधी करार दिया है।
शिक्षको का कहना है कि सरकार कमजोर वर्ग के छात्रों को माध्यमिक शिक्षा से दूर कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ तो गरीब छात्रों से पैसा लूट रही है और दूसरी तरफ वित्तविहीन स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों को एक भी पैसा नहीं दे रही है। इसे हर्गिज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यूपी बोर्ड में किसान, मजदूर, गरीब और साधारण परिवारों के बच्चे ज्यादा पढ़ते हैं। परीक्षा शुल्क में आसाधारण बढ़ोत्तरी से इन पर बोझ पड़ेगा। केन्द्र सरकार शिक्षा का अधिनियम के तहत निशुल्क शिक्षा की बात कर रही है दूसरी तरफ राज्य सरकार ने शुल्क बढ़ा दिए हैं। इस बढ़ोत्तरी से हम गरीब छात्रों को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर देंगे।
वित्तविहीन शिक्षक महासभा के अध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य उमेश द्विवेदी ने इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि यदि सरकार बढ़े हुए परीक्षा शुल्क को वापस नहीं लेती तो महासभा प्रदेश स्तर पर इसका विरोध करेगी।
बता दें कि यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा फीस ढाई गुना तक बढ़तरी की है। हाईस्कूल (संस्थागत) का २०० की जगह ५०० और इंटरमीडिएट (संस्थागत) का परीक्षा शुल्क २२० रुपये की जगह ६०० रुपये देना होगा। वहीं व्यक्तिगत परीक्षार्थियों को हाईस्कूल के लिए ३०० की जगह ७०० और इंटरमीडिएट के लिए व ४०० की जगह ८०० रुपये देने होंगे।