वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को बजट पेश किया। इस बजट से नौकरीपेशा लोगों को निराशा मली तो वही गरीब समुदाय को थोड़ी राहत। नौकरीपेशा लोगों को इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ। टैक्स छूट के नाम पर स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया। इसके साथ ही सैलरीड क्लास को मिलने वाली ट्रांसपॉर्ट अलाउंस और मेडिकल रीइंबर्समेंट की सुविधा भी इस बजट में वापस ले ली गई। आयकर पर लगने वाला सेस को और बढ़ा दिया गया। शिक्षा और स्वास्थ्य के नाम पर लगने वाले 3 फीसदी सेस के अब 4 फीसदी कर दिया गया है।
वही स्टैंडर्ड डिडक्शन के नाम पर थोड़ी छूट दी गई है। महिलाओं को एक तरफ तोड़ी राहत दी गई तो दूसरी तरफ थोड़ी निराशा हुई महिला कर्मचारियों को ईपीएफ में पहले तीन साल के दौरान योगदान घटाकर 8 फीसदी किया। अब महिलाओं को ज्यादा पैसा हाथ में मिलेगा। इसके साथ ही उन्होंने इक्विटी पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगा दिया।
एक लाख रुपए से अधिक के लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर 10 फीसदी टैक्स देना होगा. इसमें कोई भी इंडेक्सेशन बेनिफिट नहीं मिलेगा. हालांकि, 31 जनवरी से पहले खरीदे गए शेयरों की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।
वहीं वरिष्ठ नागरिकों को बैंक और पोस्ट ऑफिस में डिपॉजिट राशि पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 10,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपए की गई। नया नियम सभी प्रकार की FDs और RDs पर लागू होगा।