भारत में गाय के गोबर से बिजली बनाने की तैयारी में जुटी दो यूरोपीय कंपनियां

Aazad Staff

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भारत में कई सालों से बायोमास जेनरेटरों में गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन देश में बायोगैस आधारित संयंत्रों को अभी तक खास लोकप्रियता नहीं मिल सकी है। हालांकि इस नई तकनीक से प्रति घंटे एक किलोवाट का उद्पादन किया जा सकता है।

भारत में कुछ विदेशी कंपनियां गाय के गोबर से बिजली बनाने के अवसर तलाशने में जुटी हुई है। इस विषय में पोलैंड की एक कंपनी ने हॉलैंड की स्टर्लिंग इंजन बनाने वाली एक कंपनी से करार किया है।

हालांकि देश में पहले से ही बायोमास जेनरेटरों में गाय के गोबर का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन बायोगैस आधारित संयंत्रों को लेकर कोई खास लोकप्रियता देश को नहीं मिल सकी है। ग्लोब सॉल्यूशंस के वाइस चेयरमैन मार्सिन विल्सजिन्सकी ने भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स के दौरान कहा, ?हम भारत में जिस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं उसके रख-रखाव की जरूरत नहीं पड़ती है और वह गाय के गोबर या किसी भी अन्य बायोमास के इस्तेमाल से प्रति घंटे एक किलोवाट या 1.8 किलोवाट बिजली का उत्पादन कर सकती है।

इसके साथ ही ?भारत चैंबर के अध्यक्ष सीताराम शर्मा ने कहा कि यूरोपीय देशों में डेनमार्क गाय के गोबर से 30 प्रतिशत बिजली बनाने का लक्ष्य तय कर रहा है। हालांकि ग्लोब सॉल्यूशंस ने इस तकनीक को बनाने के लिए अभी कितनी लागत आ सकती है इसका कोई खुलासा नहीं किया है।

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