राज्य सभा में आज तीन तलाक बिल और नागरिकता संशोधन बिल को पेश किया जाएगा। वहीं इस बिल को लेकर विपक्ष विरोध प्रदर्शन कर रहा है। अगर आज ये दोनों बिल (नागरिकता संशोधन बिल और तीन तलाक बिल) को राज्यसभा में मंजूरी नहीं मिलती है तो दोनों ही बिल को नई यानि १७वीं लोकसभा में ले जाना होगा। लोकसभा से मंजूरी मिलने के बाद उसे दोबारा राज्यसभा में पेश करना होगा।
इन दोनों बिल को लेकर विपक्ष लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहा है। गौरतलब है कि तीन तलाक के मुद्दे पर हाल ही में कांग्रेस की तरफ से बड़ा बयान आया था। महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने इस बिल को लेकर बड़ा बयान दिया था उन्होंने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव २०१९ में कांग्रेस सत्ता में आती है तो वो तीन तलाक कानून को खत्म कर देगी। इसके साथ ही सुष्मिता देव ने कहा था कि तीन तलाक बिल, मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए नहीं है बल्कि मुस्लिम पुरुषों को सजा देने के लिए लाया गया है।
बता दें कि द मुस्लिम वुमेन( प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल को लोकसभा ने शीतकालीन सत्र में पारित कर दिया था। लेकिन राज्यसभा में सत्ता पक्ष के पास जरूरी संख्या बल न होने से ये विधेयक पारित नहीं हो सका। विपक्ष ने इस बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की गुजारिश की थी।
वहीं राज्यसभा से बिल पारित न होने की सूरत में केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिए इस बिल को और ६ महीने बढ़ाए जाने की मंजूरी दे दी थी। इस बिल में प्रावधान है कि अगर कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को बिना किसी ठोस आधार पर तत्काल तलाक देता है तो उसे तीन साल के लिए जेल जाना होगा। इस बिल में तीन तलाक कानून को गैरजमानती अपराध बनाया गया है हालांकि इस मामले में आरोपी जमानत के लिए मजिस्ट्रेट से अपील कर सकेगा।
वहीं नागरिकता संशोधन विधेयक कानून की बात करे तो वहीं नागरिकता संशोधन विधेयक कनून की बात करे तो विधेयक कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को १२ साल की बजाय ६ साल भारत में गुजारने पर भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। जिसे लेकर पूर्वोत्तर में लंबे समय से विरोध किया जार रहा है।