उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सभी भारतीयों की जीवन पद्दती को लेकर कहा कि हिंदुत्व के अर्थ को लेकर कई लोग गलतफहमी पैदा करते है और इसका इस्तमाल राष्ट्र के प्रती गलत इस्तमाल करते है।
उन्होंने कहा कि वंदे मातरम को लेकर विवाद होता है। मां तुझे सलाम, अगर मां को सलाम नहीं करोगे तो किसको करोगे? अफजल गुरु को सलाम करोगे क्या?
उपराष्ट्रपति गुरुवार को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल पर पुस्तक के विमोचन में शामिल हुए जहां उन्होंने वंदे मातरम कि विरोध करने वालों पर निशना साधा।
कार्यक्रम में वेंकैया नायडू ने अशोक सिंघल का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि किशोरावस्था से ही आजीवन प्रचारक रहे अशोक सिंघल हिंदू संस्कृति और गौरव को पुनर्स्थापित करने के लिए काम करते रहे थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति को समावेशी बताते हुए कहा कि अंग्रेजों के शासन से पहले दुनिया के जीडीपी में भारत का हिस्सा 27 फीसदी था जिसके बावजूद भारत ने किसी पर हमला करने का प्रयास नहीं किया।
नायडू ने कहा कि पूरे देश में यह आंदोलन चल रहा था और कोने-कोने से स्वयंसेवक कारसेवा के लिये पहुंचे थे. लेकिन, रास्ते में इस्लाम के एक भी धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाने का काम उनके द्वारा नहीं किया गया. यह इसका सबूत है कि पूरा आंदोलन सिर्फ रामजन्मभूमि तक सीमित था।