नोबेल पुरस्कारों के 69 साल में ऐसा पहली बार होगा जब साहित्य नोबेल पुरस्कार नहीं दिया जाएगा। हालांकि अबतक के 117 साल के इतिहास को देखे तो नोबल पुरस्कार को आंठ बार रोका जा चुका है।
बता दें कि इस पुरस्कार को नहीं दिए जाने के पिछे की वजह एक ज्यूरी मेंबर के आरोपों में घिरे जाने से जुड़ा हुआ है। जानकारी के मुताबिक एक ज्यूरी मेंबर के पति पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है। सच सामने आने पर ज्यूरी मेंबर को पद से हटा दिया गया है, लेकिन इसका नुकसान पुस्कार प्रक्रिया को भी पड़ रहा है।
इसीलिए 2018 के विजेता के नाम पर मुहर नहीं लग पाई। शुक्रवार को स्टॉकहोम में हुई ज्यूरी की मीटिंग में फैसला लिया गया कि 2018 का साहित्य पुरस्कार अगले साल दिया जाएगा।
बता दें कि फ्रेंच फोटोग्राफर जीन क्लाउड अरनॉल्ट पर सोशल मीडिया कैंपेन #मीटू के तहत नवंबर, 2017 में 18 महिलाओं ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे। अरनॉल्ट की पत्नी कवयित्री और लेखिका फ्रोस्टेनसन स्वीडिश एकेडमी की ज्यूरी मेंबर रही हैं। हालांकि अरनॉल्ट इन आरोपों से खारिज कर चुके हैं।
बता दें कि नोबेल पुरस्कार के रूप में मिलने वाला हर पदक करीब 175 ग्राम का और 18 कैरेट के ग्रीन गोल्ड (सोने और चांदी की मिश्र धातु) से बना होता है जिसपर 24 कैरेट सोने का पानी चढ़ा होता है।