मुसलमानों में प्रचलित निकाह हलाला और बहुविवाह प्रथा जैसी याचिका पर सुनवाई करने के लिए बुधवार को सहमत हो गया। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह संविधान के तहत मिले मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है। आपको बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक मामले की सुनवाई की थी और उस मामले में फैसला दिया था।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा डीवाई चंद्रचूड़ की सदस्यता वाली एक पीठ ने कोलकाता स्थित संगठन मुस्लिम वीमेन्स रजिस्टेंस कमेटी की अध्यक्ष नाजिया इलाही खान द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया। संगठन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता वीके बीजू ने निकाह हलाला और बहुविवाह प्रथा को अवैध और असंवैधानिक घोषित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
वीके बीजू के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पसर्नल लॉ (शरियत) एप्लीकेशन एक्ट की धारा 2 निकाह हलाला और बहुविवाह को मान्यता और वैधता देने की बात कहता है , जो न सिर्फ महिला की मूलभूत गरिमा के विरूद्ध है बल्कि संविधान के तहत प्रदत्त मूल अधिकारों का भी उल्लंघन करता है।