सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, समलैंगिकता को नहीं माना जाएगा अब अपराध

Aazad Staff

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समलैंगिकता को अवैध बताने वाली आईपीसी की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाते हुए समलैंगिकता को अपराध के घेरे से हटा दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने इसे समान अधिकार देने की बात कही है।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को समलैंगिकता मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं है। चीफ़ जस्टिस की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने एकमत से ये फ़ैसला सुनाया है।

बता दें कि ये फैसला कोर्ट में आज करीब 55 मिनट तक चली बहस के बाद सुनाया गया है। जिसके तहत धारा 377 को रद्द कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी तरह का भेदभाव मौलिक अधिकारों का हनन है एलजीबीटी समुदाय को भी समान अधिकार मिलेगा। बता दें कि धारा 377 के ज़रिए एलजीबीटी की यौन प्राथमिकताओं को भी निशाना बनाया गया था।

धारा 377 को रद्द करने की मांग सबसे पहले इन्होने की थी -

सेक्स वर्करों के लिए काम करने वाली संस्था नाज फाउंडेशन ने दिल्ली हाईकोर्ट में यह कहते हुए धारा 377 की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया था कि अगर दो वयस्क आपसी सहमति से एकांत में यौन संबंध बनाते है तो उसे धारा 377 के प्रावधान से बाहर किया जाना चाहिए।

करण जौहर ने कोर्ट के फैसले की सराहना की -

बता दें कि कोर्ट के इस फैसले के बाद करण जौहर ने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर कहा कि ऐतिहासिक फ़ैसला!!! आज फक्र हो रहा है! समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर करना और धारा 377 को ख़त्म करना इंसानियत और बराबरी के हक़ की बड़ी जीत है. देश को उसका ऑक्सीजन वापस मिला है!

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