सीबीआई जज बीएच लोया की मौत के मामले में स्वतंत्र जांज की जाए या नहीं इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाते हुए इस मामले में एसआईटी जांच की मंजूरी नहीं दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते कहा कि एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका में कोई तर्क नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने ही भी कहा कि हम जजों के बयान पर संदेह नहीं कर सकते।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने फैसला सुनाया है। बता दें कि इस मामले में कोर्ट को यह तय करना था कि वे जज लोया की मौत की जांच एसआईटी से कराए या नहीं। कोर्ट ने जज लोया की मौत को प्राकृतिक माना है।
गौरतलब है कि सीबीआई जज बीएच लोया की मौत की स्वतंत्र जांच को लेकर महराष्ट्र सरकार ने विरोध किया था। महाराष्ट्र सरकार की ओर से केस लड़ रहे वकिल हरीश साल्वे ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को जजों को सरंक्षण देना चाहिए।
बता दें कि लोया की मौत 30 नवंबर 2014 को हुई थी। तीन साल तक किसी ने इस मामले में उंगली नहीं उठाई। ये सारे सवाल कारवां की नवंबर 2017 की खबर के बाद उठाए गए जबकि याचिकाकर्ताओं ने इसके तथ्यों की सत्यता की जांच नहीं की 29 नवंबर से ही लोया के साथ मौजूद चार जजों ने अपने बयान दिए।