महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका लगा है। महाराष्ट्र में ईडब्ल्यूएस कोटा यानि आर्थिक रूप से कमजोर छात्र मेडिकल के पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में दाखिला नहीं ले सकेंगे। दरसल महाराष्ट्र में मेडिकल एडमिशन में १० फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटा देने पर कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि एडमिशन की प्रकिया शुरू होने के बाद ईडब्ल्यूएस कोटे के लिए जरूरी संविधान संसोधन किया गया हैष एक बार प्रकिया शुरू होने के बाद आप नियम नहीं बदल सकते।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने गुरुवार को कहा कि शैक्षणिक सत्र २०१९-२० के लिए दाखिले की प्रक्रिया काफी पहले शुरू हो चुकी है। ऐसे में दूसरे अभ्यर्थियों की सीटों की कीमत पर हम १०% ईडब्ल्यूएस कोटा लागू नहीं कर सकते। इस सत्र में यह तभी संभव है जब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) अतिरिक्त सीटें बढ़ाएगी।
पीजी मेडिकल कोर्सेज में दाखिले की प्रक्रिया नवंबर २०१८ में ही शुरू हो चुकी थी। जबकि १० % ईडब्ल्यूएस कोटा का प्रस्ताव जनवरी २०१९ में पारित हुआ है। वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने पीजी मेडिकल कोर्सेज में १० % ईडब्ल्यूएस कोटा मार्च २०१९ से लागू किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडब्ल्यूएस कोटे के जरिये एससी/एसटी कोर्ट को बेअसर नहीं किया जा सकता। पीजी मेडिकल कोर्स में इसको लागू करने से पहले राज्य सरकार को सीटों की संख्या बढ़ानी चाहिए थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच उस याचिक पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि इस साल होने वाले दाखिले में ईडब्लूएस के लिए दिया जाने वाला १० प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जाए।
वहीं सुनवाई के दौरान सरकार के वकील ने कोर्ट से कहा था कि इस साल होने वाले दाखिले के लिए १० प्रतिशत कोटा दिया जा चुका है और सीट भी भर गई हैं। इस केस के फैसले को सुरक्षित रखते हुए कोर्ट ने ३० मई को सुनवाई करने का फैसला किया था।