कावेरी जल विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा पानी पर सबका हक

Aazad Staff

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न्यायालय ने कहा कि उसका यह आदेश 15 साल के लिए प्रभावी होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने 137 साल पूराने कावेरी जल विवाद मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि नदी राष्ट्रीय सम्पत्ति है और इस पर कोई राज्य अपना दावा नहीं कर सकता। इसके साथ ही न्यायालय ने कर्नाटक को पहले से मिलने वाले कावेरी जल में 14.75 टीएमसी फुट की बढ़ोतरी की है, जबकि तमिलनाडु की जलापूर्ति में कटौती की है।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अमिताव रॉय एवं न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया कि वह तमिलनाडु को प्रतिवर्ष 177.25 टीएमसी फुट कावेरी जल उपलब्ध कराये।

तमिलनाडु को इससे पहले 192 टीएमसी फुट कावेरी जल मिलता था। न्यायालय ने कावेरी जल में कर्नाटक की हिस्सेदारी प्रतिवर्ष 270 टीएमसी फुट से बढ़ाकर 284.75 टीएमसी फुट कर दी। पीठ ने इस विवाद के अन्य पक्षों- केरल और पुड्डुचेरी- की हिस्सेदारी में कोई बदलाव नहीं किया है। कर्नाटक को मिलने वाले अतिरिक्त 14.75 टीएमसी फुट में 10 टीएमसी फुट जल औद्योगिक इकाइयों और सिंचाई की जरूरतों की पूर्ति और 4.75 टीएमसी फुट कावेरी जल बेंगलुरु में पेयजल की आपूर्ति के लिए होगा।

गैरतलब है कि कर्नाटक ने दलील दी थी कि 1894 और 1924 में तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी के साथ जल साझाकरण समझौता किया गया था और इसलिए 1956 में नए राज्यों की स्थापना के बाद इन करारों को बाध्य नहीं किया जा सकता।

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