मोदी सरकार १६.३ करोड़ अतिरिक्त परिवारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सस्ती दरों पर १ किलों चीनी उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है। फिलहाल अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के तहत २.५ करोड़ परिवारों को १३.५ रुपए किलो पर चीनी की आपूर्ति की जा रही है। हालांकि इस स्कीम के तहत सरकारी खजाने पर ४,७२७ करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा।
वहीं स्कीम के साथ ही इस साथ ही सरकार मानसून से पहले भंडारण को कम करने के मकसद से अतिरिक्त अनाज उपलब्ध कराने पर भी विचार कर रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सरकार ८० करोड़ लोगों को ५ किलो अनाज हर महीने काफी सस्ती दर पर उपलब्ध कराती है। इसके तहत गेहूं २ रुपए किलो जबकि चावल ३ रुपए किलो दिया जा रहा है।
पिछले सप्ताह मंत्रिमंडल की पहली बैठक में सब्सिडी दरों पर चीनी उपलब्ध कराने के खाद्यान्न मंत्रालय के प्रस्ताव पर चर्चा की गई हालांकि उसमें कोई निर्णय नहीं हुआ। बैठक में मंत्रिमंडल ने मंत्रालय से प्रस्ताव पर फिर से काम करने और अतिरिक्त खाद्यान्न (चावल या गेहूं) वितरण पर विचार करने को कहा
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में गेहूं और चावल के भंडार अटे पड़े हैं, ऐसे में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए अतिरिक्त अनाज का वितरण करने पर विचार किया जा रहा है। कुछ भंडार खुले में रखे हैं, अत: एफसीआई पर मानसून शुरू होने से पहले इसके निपटान का दबाव है।
दक्षिण पश्चिमी मानसून पांच जून को केरल आने की संभावना है। बंपर पैदावार के साथ-साथ गेहूं और चावल की खरीद के कारण सरकार के पास बफर भंडार काफी अधिक हो गया है। एफसीआई थोक ग्राहकों को गेहूं बेचना शुरू किया है, लेकिन ऊंची दर होने के कारण कारोबारी इसे खरीद नहीं रहे है कोयों की खुले बाजार में अनाज कम दर पर पहले से उपलब्ध है।