सोनभद्र नरसंहार पर राजनीति गरमाती जा रही है। शुक्रवार नरसंहार पीड़ितों से मिलने जा रही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को पुलिस ने मिर्जापुर में रोक दिया था उन्हें रोकने के लिए ३ एएसपी व ५ सीओ समेत १२ थानेदार लगे थे। पुलिस ने प्रियंक को हिरास्त में ले लिया था और मिर्जापुर गेस्ट हाउस में रखा था जहां देर रात तक अफसरों का आना-जाना लगा रहा। बताया गया कि वहां रात को साजिश कर पानी और बिजली काटी गई। पर प्रियंका पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। प्रियंका गांधी ने साफ कर दिया कि वो नरसंहार पीड़ितों से मिले बगैर वापस नहीं लौटेंगी। प्रियंका गांधी ने कहा कि जब तक उन्हें सोनभद्र नहीं जाने दिया जाएगा तब तक वो पीछे नहीं हटेंगी।
प्रियंका गांधी ने प्रशासन से कहा कि अगर सोनभद्र में धारा १४४ लागू है तो वो पीड़ित परिवारों से मिर्जापुर या वाराणसी में भी मिल सकती हैं। प्रियंका गांधी को प्रशासन द्वारा सोनभद्र नरसंहार के पीड़ित से मिलने पर रोक लगाए जाने के बाद परिजन प्रियंका गांधी से खुद मिलने चुनार गेस्ट हाउस पहुंचे। पीड़ित परिवार के सदस्यों ने कहा है कि हमें यहां पर प्रशासन नहीं लेकर आया। हम खुद टैम्पो लेकर यहां पहुंचे हैं। हमारे साथ करीब १५ लोग आए हैं। प्रियंका गांधी सबसे मिली और पीड़ितों को हर हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
बता दें कि सोनभद्र नरसंहार मामले को लेकर शुक्रवार देर रात प्रियंका ने ट्वीट करते हुए लिखा - मैं नरसंहार का दंश झेल रहे गरीब आदिवासियों से मिलने, उनकी व्यथा-कथा जानने आयी हूँ। जनता का सेवक होने के नाते यह मेरा धर्म है और नैतिक अधिकार भी। उनसे मिलने का मेरा निर्णय अडिग है।
उन्होंने आगे लिखा उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा मुझे पिछले ९ घंटे से गिरफ़्तार करके चुनार किले में रखा हुआ है। प्रशासन कह रहा है कि मुझे ५०,००० की जमानत देनी है अन्यथा मुझे १४ दिन के लिए जेल की सज़ा दी जाएगी, मगर वे मुझे सोनभद्र नहीं जाने देंगे ऐसा उन्हें ?ऊपर से ऑर्डर है?।
प्रियंका ने आगे कहा कि मैने न कोई कानून तोड़ा है और न ही कोई अपराध किया है। प्रशासन चाहे तो मैं अकेली उनके साथ पीड़ित परिवारों से मिलने गांव जाना चाहती हूं। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने तमाशा खड़ा कर दिया। प्रियंका ने साफ कह दिया कि मैं पीड़ितों से मिलने जाउंगी सरकार को जो उचित लगे वो करे।
बता दें कि बता दें कि १७ जुलाई को सोनभद्र में घोरावल थाना क्षेत्र के मूर्तिया गांव में जमीनी विवाद को लेकर ३२ ट्रैक्टर-ट्रालियों में भरकर प्रधान समेत ३०० लोग पहुंचे थे। जमीन को कब्जे में लिए जाने के सिलसिले में इस बीच हिंसक झड़प हो गई थी। और देखते ही देखते गोलीबारी शुरू हो गई। गोलीबारी में १० लोगों की मौक पर ही मौत हो गई जबकि कई अन्य लोग घायल हुए थे। पुलिस ने इस मामले में अबतक २६ लोगों की गिरफ्तार किया है जबकि २८ लोगों को नामजद किया है और ५० अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। यूपी में इस तरह की कानून व्यवस्था को देखते हुए विपक्ष लगातार योगी सरकार पर पर हमलावर हैं।