गुजारा भत्ता के लिए अब नहीं देना होगा शादी का ठोस सबूत - सुप्रीम कोर्ट

Aazad Staff

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गुजारा भत्ता पाने के लिए अब महिलाओं को विवाह का कोई ठोस सबूत देने की आवश्यकता नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें पत्नी को गुजारा-भत्ता देने से इस लिए मना कर दिया गया था क्यों कि महिला के पास विवाह का ठोस सबुत नहीं था। पीड़िता ने मंदिर में प्रेम विवाह किया था। उनके दो बच्चे है।

सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि शादी के बाद अगर कोई जोड़ा अलग होता है तो महिला को गुजारा भत्ता पाने के लिए अपनी शादी से जुड़ा कोई ठोस सबूत देने की जरूरत नहीं होगी।

गुजाराभत्ता को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसमें सुनवाई के दौरान कोर्ट ने गुजारा भत्ता देने से मना कर दिया था। हालांकि मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई जिसमें सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया। जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने यह फैसला पीड़िता की याचिका पर सुनाया है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्नी के मौखिक साक्ष्य ही वैध विवाह को रेखांकित करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत की गई कार्रवाई में विवाह के ठोस सबूत की कोई जरूरत नहीं है। पीठ का कहना है कि पत्नी के मौखिक साक्ष्य और उसके साथ दिए गए दस्तावेज ही इस बात को रेखांकित करते हैं उनका विवाह वैध है।

धारा 125 की कार्रवाई वैवाहिक विवादों की कार्रवाई से बिल्कुल अलग है। वैवाहिक विवादों में याचिकाकर्ता को अपनी शादी के ठोस मानक सबूत देना जरूरी होता है। लेकिन धारा 125 में इस तरह के साक्ष्य नहीं चाहिए होते। ऐसा इसलिए क्योंकि इस धारा का उद्देश्य महिला को आभावों से बचाना होता है।

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