दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का शनिवार को दिल्ली के एस्कॉर्ट अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहीं थी।
शीला दीक्षित देश की पहली ऐसी महिला मुख्यमंत्री थीं जिन्होंने लगातार तीन बार मुख्यमंत्री का पद संभाला। १७ दिसंबर, २००८ में उन्हें लगातार तीसरी बार दिल्ली विधानसभा के लिये चुना गया था। हालांकि २०१३ में हुए विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। शीला दीक्षित को यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की काफी करीबी माना जाता था।
शीला दीक्षित कांग्रेस की कद्दावर नेताओं में से एक थी। १० जनवरी, २०१९ को कांग्रेस ने उन्हें दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी। लोकसभा चुनाव २०१९ में वे उत्तर पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ीं थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। शीला दीक्षित १९८४ से १९८९ तक उत्तर प्रदेश की कनौज लोकसभा सीट से सांसद थी। इन्हें २०१७ के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सीएम प्रत्याशी बनाया था। शीला १९८६ से १९८९ तक केंद्र में मंत्री थी।
शीला दीक्षित के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर दुख जाहिर किया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा - शीला दीक्षित जी के निधन से मैं बेहद दुखी हूं। वह मिलनसार व्यक्तित्व की धनी थीं। दिल्ली के विकास के लिए उन्होंने अभूतपूर्व कार्य किए। उनके परिवार और समर्थकों को मेरी सांत्वना। ओम शांति।'
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी शीला दीक्षित के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा - दिल्ली की पूर्व सीएम और सीनियर नेता शीला दीक्षित के निधन की खबर से दुखी हूं। उनका कार्यकाल दिल्ली में बदलाव का दौर था, जिसके लिए उन्हें याद किया जाएगा। उनके परिवार और साथियों के प्रति संवेदनाएं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी शोक जताते हुए ट्वीट कर लिखा - शीला दीक्षित जी के निधन की बेहद के बारे में पता चला। यह दिल्ली के लिए बहुत बड़ी क्षति है। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिवार के सदस्यों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। उनकी आत्मा को शांति मिले।