अगले साल तक 2000 तक डीजीटल पेमेंट तक MDR शुल्क नहीं देना पड़ेगा। केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक में ये फैसला लिया गया इसमें डेबिट कार्ड और आधार से जुड़े भुक्तान से फायदा मिलेगा। हालांकि सरकार को अगले दो साल तक इस शुल्?क का वहन करेना पडेंगा। यह नियम एक जनवरी 2018 से लागू होगा और सरकार बैंकों को इस शुल्?क की प्रतिपूर्ति करेगी।
वित्?ती सेवा विभाग के सचिव, इलेक्?ट्रॉनिक्?स और आईटी मंत्रालय के सचिव तथा नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के सीईओ वाली एक कमेटी इस तरह के लेनदेन के इंडस्?ट्री कॉस्?ट स्?ट्रक्?चर पर विचार करेगी जिसके आधार प्रतिपूर्ति का स्?तर तय किया जाएगा।
ऐसा अनुमान है कि 2000 रुपए से कम के सभी लेनदेन पर सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति किए जाने वाले एमडीआर का मूल्?य वित्?त वर्ष 2018-19 में 1050 करोड़ रुपए और वित्?त वर्ष 2019-20 में 1462 करोड़ रुपए होगा।
इस साल अप्रैल से सितंबर के बीच कुल मिलाकर के 2.18 लाख करोड़ ट्रांजेक्शन हुए हैं। जीएसटी के लागू होने के बाद डिजिटल इको सिस्टम को तैयार करने में काफी मदद मिलेगी।
अभी 1,000 रुपये के ट्रांजेक्शन पर एमडीआर की दर 0.25 फीसदी है, यानी ज्यादा से ज्यादा ढाई रुपये। वहीं 1,000 रुपये से ज्यादा लेकिन 2,000 रुपये तक के ट्रांजेक्शन पर एमडीआर की दर 0.5 फीसदी है। दोनों ही दरें छोटे-बड़े सभी कारोबारियों के लिए एक समान हैं।