राहुल गांधी आज औपचारिक रुप से कांग्रेस का पद सम्भालेंगे। गौरतलब है कि सोनिया गांधी 1998 में कांग्रेस की अध्यक्ष बनी थी और 19 साल तक कांग्रेस का पदभार संभाली थी। सोनिया संयुक्त प्रगतिशील की चेयरपर्सन भी रह चुकी है। सोनिया एक मात्र ऐसी महिला रही, जिनके नेतृत्व में कांग्रेस ने लगातार दो पूरे कार्यकाल तक केंद्र की सत्ता संभाली।
यूपीए अध्यक्ष और कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने कहा कि वह पार्टी में अपनी भूमिका निभाती रहेंगी और पार्टी को दिशा देती रहेंगी।? हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह उस तरह से मार्गदर्शन नहीं करेंगी जिस तरह से मार्गदर्शक मंडल में डाले गए भाजपा में कई वरिष्ठ नेता कर रहे हैं।
राहुल गांधी को ऐसे समय में ये पदभार मिला है जब बीजेपी का राजस्व ज्यादातर इलाको में फैला हुआ है। ऐसे में राहुल गांधी को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस संगठन को दोबारा खड़ा करने का जिम्मा भी राहुल के कंधों पर है। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी दिक्कत बूथ लेबल पर पार्टी को खड़ा करने की है।
कांग्रेस में राहुल राज कायम होने से पार्टी का विजन साफ दिख रहा है और पार्टी में त्वरित फैसले भी होने लगे हैं, जबकि कांग्रेस में पहले अक्सर किसी मुद्दे पर फैसला लेने में ऊहापोह की स्थिति में नजर आती थी। तुरंत फैसला न लेने से कांग्रेस के हाथों से मुद्दे निकल जाते थे. पिछले कुछ दिनों में राहुल गांधी ने पार्टी को इससे बाहर निकाला है। राहुल गांधी ने 2019 का एजेंडा सेट कर लिया है. राहुल जिन मुद्दों को गुजरात में उठा रहे थे, वही मुद्दे 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उनके काम आएंगे।