राफेल डील मामले में आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है जिसमें मोदी सरकार को बड़ी राहत मिली है। राफेल डील पर उठाए गए सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सौदे पर कोई संदेह नहीं है ऐसे विमानों की जरुरत है। इसके साथ ही कोर्ट ने सौदे को लेकर दायर की गई सभी जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीश खंडपीठ ने कहा कि वह खरीद प्रक्रिया से संतुष्ट है। मोटे तौर पर प्रक्रिया का पालन किया गया है। कोर्ट सरकार के 36 विमान ख़रीदने के फ़ैसले मे दख़ल नहीं दे सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि प्रेस इंटरव्यू आधार नही हो सकते।
गौरतलब है कि 14 नवंबर को इस मामले पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। राफेल डील मामले में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए सबसे पहले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी। इसके बाद, एक अन्य अधिवक्ता विनीत ढांडा ने याचिका दायर कर शीर्ष अदालत की निगरानी में इस सौदे की जांच कराने का अनुरोध किया था। इस सौदे को लेकर आप पार्टी के सांसद संजय सिंह और इसके बाद दो पूर्व मंत्रियों तथा बीजेपी नेताओं यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी के साथ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने एक अलग याचिका दायर की थी।
गौरतलब है कि भारत ने करीब 58,000 करोड़ रुपए की कीमत से 36 राफेल विमान खरीदने के लिए फ्रांस के साथ समझौता किया ताकि भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में सुधार किया जा सके। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने मोदी सरकार पर डेसॉल्ट एविएशन से 36 राफले लड़ाकू विमानों की खरीदने पर गड़बड़ी का आरोप लगाया था। वहीं विपक्षी पार्टी ने इस डील को सार्वजनिक करने की मांग की थी जिसका सरकार ने विरोध किया था।