केन्द्र सरकार ने प्लास्टिक के तिरंगे के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। जो कोई भी प्लास्टिक से बने झंड़े का इस्तेमाल करता पकड़ा जाएगा तो उसे तीन साल की कैद या जुर्माना हो सकता है। बता दें कि कई महत्वपूर्ण समाहरोह में पहले प्लास्टिक के झंडे का इस्तेमाल किया जा रहा था। हालांकि सरकार ने अब इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्लास्टिक के झंड़े को प्राकृतिक रुप से भी हानीकारार माना गया है। ये लंबे समय तक नष्ट नहीं होते और वातावरण के खतरनाक है।
गृहमंत्रालय ने इस संबंध में सभी राज्?यों को केन्?द्र शासित प्रदेशों को फ्लैग कोड का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है।
राज्यों के मुख्य सचिवों, संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासकों और केन्द्र के सभी विभागों के सचिवों को पत्र भेजा गया है। बता दें कि देश के कई संगठनों ने सरकार से इस पर रोक लगाने की मांग की थी। समारोहों में वितरण के लिए कागज के झंडों की बजाए प्लास्टिक के झंडे वितरित किए जाने लगे थे। प्लास्टिक के झंड़े लंबे समय तक नष्ट नहीं होते और वातावरण के लिए हानिकारक भी होते हैं।
संविधानिक प्रावधान
राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 की धारा 2 के तहत अगर कोई भी व्यक्ति जो किसी सार्वजनिक स्थान पर या किसी भी अन्य स्थान पर सार्वजनिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय झंडे या उसके किसी भाग को जलाता है, विकृत करता है, विरूपित करता है, दूषित करता है, कुरूपित करता है, नष्ट करता है, कुचलता है या उसके प्रति अनादर प्रकट करता है या (मौखिक या लिखित शब्दों में, या कृत्यों द्वारा) अपमान करता है तो उसे तीन वर्ष तक के कारावास से, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
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