सिंधु जल संधि के तहत भारत पाकिस्तान में पानी के प्रवाह को रोक नहीं सकता है, एक शीर्ष पाकिस्तानी अधिकारियों ने सोमवार को कहा, कि अगर नई दिल्ली रावी, सतलज और ब्यास नदियों के पानी को रोकती है तो इस्लामाबाद अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत का रूख करेगा। सिंधु जल के लिए स्थायी आयोग के अधिकारी ने आरोप लगाए कि भारत पानी को लेकर लगातार आक्रमता दिखा रहा था।
पिछले महीने पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के ४० जवानों के बाद से ही भारत और पाक के रिश्तों में एक बार फिर से कड़वाहट आ चुकी है। वहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नई दिल्ली में कहा था कि भारत ने अपने हिस्से के जल को पाकिस्तान में जाने से रोकने का निर्णय किया है। पाकिस्तान ने भारत की टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा कि, अपने हिस्से का जल रोकने की भारत की योजना से उसे कोई समस्या नहीं है।
सिंधु जल समझौता के मुताबिक भारत पाकिस्तान में जल बहने से नहीं रोक सकता है और अगर वे ऐसा करते हैं तो हम अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत का रूख करेंगे। इसके साथ ही अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान की तरफ बहने वाले पानी की धारा को मोड़ने में भारत को कई साल लगेंगे।
बता दें कि सिंधु जल समझौता १९६० के मुताबिक सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी पाकिस्तान को दिया गया जबकि रावी, ब्यास और सतलुज का पानी भारत को दिया गया। अधिकारी ने कहा कि भारत के सिंधु जल आयोग ने पानी का बहाव रोकने संबंधी कदम के बारे में पाकिस्तान को कुछ नहीं बताया है। १९६० में हुए सिंधु जल समझौते के तहत पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान के हिस्से में है और पूर्वी नदियों रावी, ब्यास और सतलुज का पानी भारत के हिस्से में है।