सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के लिए नया कानून बनाया। दहेज उत्पीड़न के मामले में आरोपी को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। जब तक उसका आरोप सिद्ध नहीं हो जाता। यह आदेश जारी किया है सुप्रीम कोर्ट ने।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार आए दिन कोई न कोई नियम और धारा लागू करती रहती है, परंतु वह उस वक्त ज्यादा निराश हो जाती है जब उन्हें यह पता चलता है कि जिन महिलाओं के लिए वह यह नियम लागू कर रहे हैं, वही महिलाएं उसका दुरूपयोग कर रही हैं, तो इस बात से बहुत कष्ट होता है।
इसी तरह आप सबको याद होगा कि सरकार ने यह कानून बनाया था कि दहेज उत्पीड़न मामले में सीधा महिला को पीड़ित करने वाले को गिरफ्तार किया जाएगा। परंतु सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दहेज कानून का दुरुपयोग होने पर दुख जताते हुए कहा, कि अब इस फैसले में बदलाव आएगा। कोर्ट ने कहा कि, अब अगर कोई पत्नी दहेज उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करवाती है, तो अब उस मामले की पहले पुष्टि की जाएगी। आरोप सिद्ध हो जाने के बाद ही किसी को गिरफ्तार किया जाएगा। बिना आरोप सिद्ध हुए किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने यह बात बताई कि कई पत्नियां आईपीसी (IPC) (Indian Penal Code) की धारा ४९८ए (498A) का दुरुपयोग करती हैं। उन्होंने बताया कि कुछ महिलाएं ऐसी हैं कि किसी छोटी सी बात पर गुस्सा होकर सामने वाले को सबक सिखाने के लिए यानी कि अपने पति, माता-पिता, नाबालिक बच्चे, भाई-बहन और दादा-दादी या किसी भी रिश्तेदार को सबक सिखाने के लिए झूठा केस दर्ज कर देती हैं। उनको जेल भेजवा देती हैं।
जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की बेंच ने कहा, कि अब हम ऐसा कुछ भी होने नहीं देंगे। जिसमें बेगुनाह को सजा भुगतनी पड़े। अब हर एक बेगुनाह को राहत मिलेगी और गुनहगार को सजा मिलेगी। जब तक कोई आरोप सिद्ध नहीं होता किसी भी बेगुनाह को जेल नहीं भेजा जाएगा। किसी भी तरह की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी।
कोर्ट ने इस मामले को जल्दी से जल्दी निपटाने के लिए हर एक जिले में एक परिवार कल्याण समिति गठित बनाई है, और सेक्शन ४९८ए (498A) के तहत जो भी शिकायत दर्ज की जाएगी उसको पहले समिति सुलझाने की कोशिश करेगी। सबसे पहले यह शिकायत समिति के सामने पेश किया जाएगा। फिर यह समिति उन आरोपों के बारे में खोजबीन करेगी और उसकी एक रिपोर्ट भेजेगी। अगर उस रिपोर्ट में यह पुष्टि हो जाती है कि वह सब आरोप सही है जो सामने वाले ने लगाए हैं, तो ही गिरफ्तारी होगी। बेंच (Bench) ने साथ में यह भी बात बताई की एन आर आई (NRI) आरोपियों को जो कि बाहर से आते हैं, अगर वह आरोपी हैं परंतु अभी आरोप सिद्ध नही हुआ है, तो उनका पासपोर्ट जब्त नहीं किया जाएगा और ना ही उनको रेड कॉर्नर नोटिस (Red Corner Notice) दिया जाएगा।
साथ ही में एन आर आई लोगों के लिए एक सुविधा और भी उपलब्ध करवा दी गई की, उनके परिवार के सभी सदस्यों को जो बाहर रह रहे हैं। उन को अदालत में पेश होना बिल्कुल भी जरुरी नहीं है। परंतु यह सब सुविधाएं तब एन आर आई को नहीं मिलेगी जब महिला जख्मी हो या किसी भी वजह से उसकी मौत हो जाती है। साथ में यह भी कहा कि कानूनी सेवा प्राधिकरण में इस समिति के 3 सदस्य का गठन करेगा जिस में सामाजिक कार्यकर्ता, लीगल स्वयंसेवी और रिटायर व्यक्ति लोग शामिल होंगे। साथ ही में समय समय पर इन सभी कामकाज का आंकलन जिला के जज को ही करना पड़ेगा।।
इस तरह से दहेज उत्पीड़न कानून में कुछ नियमों में फेरबदल किया गया है।