नेस्ले कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में कबूला 'मैगी नूडल्‍स' में था सीसा

Aazad Staff

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बच्‍चों और युवाओं के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय 'मैगी नूडल्‍स एक बार फिर से विवादों में आ गया है। 'मैगी नूडल्‍स' में ज्यादा मात्रा मे सीसा पाए जाने की बात कंपनी के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में स्विकार की है। जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में कार्रवाई की इजाज़त सरकार को दे दी है।

देश में सबसे ज्यादा लोकप्रिय 'मैगी नूडल्?स? एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है। 2015 में मैगी में लेड की मात्रा अधिक पाए जाने के बाद इसे कई शहरों में बैन किया गया तो कई जगह इसे लेकर विरोध प्रदर्शन भी हुए। बहरहाल तीन साल बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कारवाई की इजाज़त सरकार को दे दी है। जिससे नेस्ले को बड़ा झटका लगा है। दरसल मैगी बनाने वाली नेस्ले कंपनी के वकीलों ने इस बात को स्वीकार किया है कि मैगी में साल 2015 में लेड की मात्रा तय सीमा से ज्यादा थी।

इस मामल में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये सुनवाई की और साफ कहा कि मैगी के नमूनों के बारे में मैसूर स्थित केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान(CFTRI)) की रिपोर्ट पूरी कार्रवाई का आधार मानी जाएगी। वही इस पूरे विवाद के दोबारा सामने आने के बाद साफ है कि सरकार बनाम नेस्ले एक बार फिर नज़र आएगी।

आपको बता दें कि लेड यानि सीसा हमारे सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक माना गया है। डॉक्?टर्स के मुताबिक, अधिक लेड के सेवन से किडनी खराब हो सकती है और नर्वस सिस्टम डैमेज हो सकता है। तय मानक के अनुसार किसी फूड प्रोडक्ट में लेड की मात्रा 2.5 पीपीएम तक ही होनी चाहिए, लेकिन मैगी के नमूनों में इसकी मात्रा इससे काफी अधिक पाई गई थी।

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