केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमती दिए जाने के बाद अन्य धर्मों के आर्मिक स्थलों पर भी महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंद को जल्द खारिज किया जा सकेगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार सबरीमाल मंदिर पर फैसला सुनाते हुए कहा कि शारीरिक आधार (मासिक धर्म) के कारण महिलाओं को पूजा के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है, यह असंवैधानिक है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले के बाद पूजा स्थल के लिए एक ही धर्म के कुछ लोगों को दूर रखने का औचित्य साबित करने का स्कोप सीमित हो गया है। वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि यह फैसला धर्म में संप्रदाय की अवधारणा को प्रभावित करेगा, जहां धर्म में एक उपसमूह कोई भी प्रथा का अनुसरण करने के लिए विशेष अधिकार का दावा करता है।
आर्टिकल 17 को दिया गया विस्तार उन्होंने कहा, ?इस फैसले के बाद विशिष्ट संप्रदाय विशेष के मंदिरों की अवधारणा को दोबारा लिखने की जरूरत है। आर्टिकल 17, जो छुआछूत को लेकर है, उसे विस्तार दिया गया है। जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने शानदार फैसला सुनाया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता को भी एक अधिकार के तौर पर देखने की जरूरत है। इस स्वतंत्रता में संवैधानिक नैतिकता भी शामिल है और यह महज समानता को लेकर नहीं है।?
ऐसे मंदिर जहां महिलाओं के प्रवेश पर है पाबंदी/भेदभाव :
?कार्तिकेय मंदिर (पेहोवा, हरियाणा) ? यहां महिलाओं का जाना अशुभ माना जाता है।
? छपरी माता मंदिर (हृदयनगर, MP) ? सोलह शिवलिंग शनिश्वर (सतारा, महाराष्ट्र) ? घटई देवी मंदिर (सतारा)
? कीर्तन घर, बरपेटा सत्र (असम)- इस वैष्णव मठ में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी जाने की अनुमति नहीं दी गई थी।
? मंगल चंडी मंदिर (बोकारो, झारखंड)- 100 फीट के दायरे में महिलाओं के आने पर प्रतिबंध।
? मावली माता मंदिर धमतरी (छत्तीसगढ़)- पुजारियों का कहना है कि देवता महिलाएं को पसंद नहीं करते हैं।
? श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुवनंतपुरम (केरल)- महिलाएं प्रवेश तो कर सकती हैं, पर यहां एक ड्रेस कोड है।