एम के स्टालिन को मिला डीएमके प्रमुख का ताज 

Aazad Staff

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डीएमके के संस्थापक करुणानिधि का सफर राजनीति में लम्बे समय तक संघर्ष भरा रहा था हालांकि उनके बेटे स्टालिन का सफर राजनीति में बिल्कुल अलग रहा है। अध्यक्ष चुने जाने के बाद उनके सामने पार्टी कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने की एक बड़ी चुनौती सामने है।

डीएमके संस्थापक करुणानिधि के निधन के बाद पार्टी में लंबे समय से ?पार्टी अध्यक्ष? चुने जाने पर बहस चल रही थी जिस पर अब पूर्ण विराम लग चुका है। मंगलवार को एमके स्टालिन डीएमके के अध्यक्ष बनाए गए। बता दें कि एमके स्टालिन कार्यकारी अध्यक्ष और दिवंगत एम करुणानिधि के छोटे बेटे है। इसके अलावा वरिष्ठ नेता और पार्टी के प्रधान सचिव दुरईमुरुगन को पार्टी का नया कोषाध्यक्ष चुना गया है।

स्टालिन को 1977 में इमरजेंसी के दौरान आंतरिक सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। 12 साल बाद सन 1989 में स्टालिन ने विधानसभा चुनावो में बहुमत हासिल कर जीत हासिल की। हालांकि दो साल बाद ही वो चुनाव हार गए।

स्टालिन 1996 में चेन्नई के मेयर बने। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान प्रशासनिक आधुनिकता पर ज़ोर दिया था। बाता दें कि जून 2013 में करुणानिधि के 93वें जन्मदिन पर, स्टालिन ने बीजेपी को छोड़कर सभी पार्टियों को आमंत्रित किया। कई लोगों ने कहा कि एक मंच पर प्रमुख नेताओं को एक साथ लाना स्टालिन की ये रणनीति एक मास्टरस्ट्रोक थी।

बहरहाल इस बार डीएमके ने 30 अगस्त को शोक सभा के लिए राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल दोनों को बुलाया है। बीजेपी की तरफ से अमित शाह को इस कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया गया है। हालांकि खबरों के मुताबिक इस सभा में अमित शाह के आने की उम्मीद कम है इस लिए उनकी जहग पर नितिन गडकरी जाएंगे।

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