पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश में अपनी और हाथी की मूर्तियां बनाने के फैसले का बचाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जवाब दायर किया है। मायावती ने सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के जवाब में लिखा 'ये कोई नई बात नहीं है, कांग्रेस के वक्त में भी केंद्र और राज्य सरकारों ने जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, नरसिम्हा राव जैसे नेताओं की जनता के पैसों से मूर्तियां स्थापित की। पर तब तो किसी ने भी इसपर आपत्ति दर्ज नहीं कराई थी ना किसी ने प्रश्न पूछा। इसके साथ ही मायावती ने गुजरात में १८२ मीटर उंचे और ३००० करोड़ की लागत से बनी सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति पर भी सवाल खड़े किए।
अपने जवाब में मायावती ने आगे लिखा कि मैंने लोगों की सेवा के लिए शादी तक नहीं की। सारा जीवन दलितों को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि मैंने पिछड़े और दबे कुचले लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए अपना सारा जीवन अर्पित कर दिया और अपने इसी समर्पण की ही वजह से मैंने तय किया कि मैं विवाह नहीं करूंगी। जनता की उम्मीदें पूरी करने के लिए ही मैंने ये स्मारक बनवाए हैं।
गौरतलब है कि मायावती पर आरोप है कि उन्होंने खुद ही अपने प्रचार के लिए बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश में अपनी और हाथियों की मूर्तियां तैयार करवाईं। इसके लिए सरकारी खजाने से ४१४८ करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी मूर्तियों की कुल लागत और इसके लिए जारी बजट की रिपोर्ट का ब्योरा भी मांगा था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में कहा था कि उसके संभावित विचार में लखनऊ और नोएडा में अपनी तथा बसपा के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां बनवाने पर खर्च किए गए करोड़ रुपए मायावती को सरकार को लौटाना होगा।