मायावती का SC में हलफनामा, मेरी मूर्ति लोगों की इच्छा पर बनी

Aazad Staff

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बसपा सुप्रीमो मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर राज्य में बनाई गई मूर्तियों पर खर्च किए गए रकम को सही ठहराया है। बता दें कि ८ फरवरी को केस की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि कोर्ट का विचार है कि मायावती को मूर्तियों पर किए खर्च किए गए पैसों को अपने पास से सरकारी खजाने में अदा करना चाहिए।

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने अपनी और हाथी की प्रतिमाओं पर पैसा खर्च करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपना हलफनामा दाखिल किया है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने शहरों में अपने द्वारा बनाई गई मूर्तियों की स्थापना को सही ठहराया और कहा कि मूर्तियां लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती हैं। मायावती ने कहा कि राज्य की विधानसभा की इच्छा का उल्लंघन कैसे करूं? इन प्रतिमाओं के माध्यम से विधानमंडल ने दलित नेता के प्रति आदर व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए उनकी तरफ से इन मूर्तियों के लिए बजट का उचित आवंटन किया गया था।

मायावती ने इसके साथ ही कहा कि यह पैसा शिक्षा पर खर्च किया जाना चाहिए या अस्पताल पर यह एक बहस का सवाल है और इसे अदालत द्वारा तय नहीं किया जा सकता है।लोगों को प्रेरणा दिलाने के लिए स्मारक बनाए गए थे। इन स्मारकों में हाथियों की मूर्तियां केवल वास्तुशिल्प की बनावट मात्र हैं और ये बीएसपी के पार्टी प्रतीक का प्रतिनिधित्व नहीं करते।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में कहा था कि उसके संभावित विचार में लखनऊ और नोएडा में अपनी तथा बसपा के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां बनवाने पर खर्च किया गया सारा सरकारी धन मायावती को लौटाना होगा। कोर्ट एक वकील की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें कहा गया था कि सार्वजनिक धन का प्रयोग अपनी मूर्तियां बनवाने और राजनीतिक दल का प्रचार करने के लिए नहीं किया जा सकता।

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