ईडी के कार्यालय पहुंचे राज ठाकरे, एमएनएस के कई कार्यकर्ता हिरासत में

Aazad Staff

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कोहिनूर इमारत मामले की जांच के सिलसिले में राज ठाकरें बल्लार्ड पियर स्थित ईडी कार्यालय में पहुंच चुके हैं। रविवार को ईडी ने उन्हें समन भेजा था।

कोहिनूर इमारत मामले में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दफ्तर पहुंच गए हैं। राज ठाकरे के साथ उनके बेटे अमित और बेटी उर्वशी भी हैं। बस कुछ ही देर में ईडी राज ठाकरे से पूछताछ करेगी।

ईडी ने रविवार को राज ठाकरे और उनके पूर्व कारोबारी सहयोगी रहे पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और सत्तारूढ़ सहयोगी शिवसेना नेता मनोहर जोशी के बेटे उन्मेश जोशी के साथ ही एक अन्य कारोबारी सहयोगी को नोटिस जारी किया था।

इस मामले में मुंबई पुलिस ने गुरुवार को एम.एन.एस के कुछ कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेना शुरू कर दिया है। वहींं दूसरी तरफ मुम्बई पुलिस ने एम.एन.एस के कार्यकर्ताओं को साफ तौर पर चेतावनी दी है कि कानूनी प्रक्रिया के दौरान उद्दंडता करने वालों पर कार्यवाही की जाएगी तो वहीं खुद राज ठाकरे ने भी अपने कार्यकर्ताओं को निदेश दिए हैं कि वो उनके घर पर या प्रवर्तन निदेशालय में इकट्ठा न हो।

बता दें कि राज ठाकरे के ईडी दफ्तर में पेशी को लेकर मुंबई के ४ पुलिस थानों की हद में धारा १४४ लगाई गई है, जिसमें मरीन ड्राइव, एमआरए मार्ग, आज़ाद मैदान और दादर पुलिस स्टेशन का एरिया शामिल है। गौरतलब है कि मध्य मुंबई के दादर क्षेत्र को एम.एन.एस का गढ़ कहा जाता है। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ये कदम उठाए गए है।

क्या है मामला -

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मनोहर जोशी के बेटे उन्मेश जोशी के स्वामित्व वाले कोहिनूर सीटीएनएल में ८५० करोड़ रुपये से अधिक के आई.एल एंड एफ.एस (IL&FS) के ऋण और निवेश की कथित अनियमितताओं की जांच की जा रही है। कोहिनूर सी.टी.एन.एल एक रियलिटी क्षेत्र की कंपनी है जो पश्चिम दादर में कोहिनूर स्क्वॉयर टॉवर का निर्माण कर रही है।

साल २००३ में मनोहर जोशी के बेटे उन्मेश जोशी ने राज ठाकरे और राजन शिरोडकर के साथ मिलकर अपनी कम्पनी कोहिनूर सिटीएनएल के जरिए कोहिनूर मिल खरीदी। पूरी डील ४२१ करोड़ में तय हुई थी जिसमें सभी पार्टनर बराबर के हिस्सेदार थे।

इस डील में आई.एल एंड एफ.एस (IL&FS) २२५ करोड़ रुपये इक्विटी के तौर पर निवेश किए और कोहिनूर सिटीएनएल को फंड भी किया। लेकिन, साल २००८ में आई.एल एंड एफ.एस (IL&FS) ने अपने २२५ करोड़ के इक्विटी शेयर्स महज ९० करोड़ में बेच दिए जिसके चलते १३५ करोड़ का लोन डिफाल्ट हुआ। कुछ समय बाद राज ठाकरे ने भी इस शेयर होल्डिंग पैटर्न में अपने शेयर बेच दिए और डील से निकल गए और लोन डिफॉल्ट की रकम कर्ज के तौर पर चुकाई नहीं गई। इसी वजह से आई.एल एंड एफ.एस (IL&FS) अब सन्देह के घेरे में है।

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