आदिवासी सेंगल अभियान (एएसए) की ओर से भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ 18 जून को झारखंड बंद बुलाया गया है। हालांकि रांची, धनबाद, गया समेत विभिन्न जिलों में बंद बेअसर नजर आ रहा है। वहीं वाहनों का परिचालन भी सामान्य है। विपक्ष ने इस बंद से खुद को अलग रखा है। जबकि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा पूरा विपक्ष आंदोलन के साथ रहेगा। आंदोलन को गांव-गांव तक ले जाया जाएगा। यह निर्णायक लड़ाई होगी। किसी भी कीमत पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) गरीब आदिवासियों की जमीन छीनने नहीं देगा।
बंद के दौरान सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने के लिए राजधानी सहित सभी जिलों में 5000 अतिरिक्त फोर्स की तैनात किए गए है।इसके साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए रांची, जमशेदपुर, धनबाद समेत कई जिलों में एलर्ट जारी किया गया है।
भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल -
विधानसभा में पिछले साल 12 अगस्त को इस बिल को पारित किया गया था। इसमें सोशल इंपैक्ट के अध्ययन के प्रावधान को खत्म कर दिया गया। इससे सरकारी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, अस्पताल, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी, रेल परियोजना, सिंचाई योजना, विद्युतीकरण, जलापूर्ति योजना, सड़क, पाइप लाइन, जलमार्ग और गरीबों के आवास बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण करने का रास्ता साफ हो गया।
हालांकि विधानसभा में इस बिल को पारित करने को लेकर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई थी। लेकिन इस विरोध के बावजूद इस बिल को पारित कराया गया था। इसके बाद इस विधेयक को मंजूरी के लिए भेजा गया था। बता दें कि सरकारी परियोजना के लिए जरूरत की जमीन अधिग्रहण करने को लेकर सोशल इंपैक्ट असेस्मेंट (सामाजिक प्रभाव आकलन) की बाध्यता समाप्त होने से सरकार मुआवजे दे कर जमीन को सीधे ले सकेगी।