२६ जुलाई १९९९ को कारगिल युद्ध (Kargil War) में भारत ने पाकिस्तान को मुहतोड़ जवाब देते हुए फतेह हासिल की। साल १९९९ में करगिल की पहाड़ियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा जमा लिया था, जिसके बाद भारतीय सेना ने उनके खिलाफ ऑपरेशन विजय चलाया ऑपरेशन विजय ८ मई से शुरू होकर २६ जुलाई तक चला था। इस दौरान इस कार्रवाई में भारतीय सेना के ५२७ जवान शहीद हुए थे जबकि १३६३ जवान घायल हुए थे। कारगिल विजय दिवस पर आज इस मौके पर पाठकों के लिए पेश है देशभक्ति से लबरेज शायरों के कुछ अल्फ़ाज -
ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो
प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कान्तिमय हो
- राम प्रसाद बिस्मिल
दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी
-लाल चन्द फ़लक
हम ख़ून की क़िस्तें तो कई दे चुके लेकिन
ऐ ख़ाक-ए-वतन क़र्ज़ अदा क्यूँ नहीं होता
- वाली आसी
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है
- बिस्मिल अजीमाबादी
न इंतिज़ार करो इन का ऐ अज़ा-दारो
शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते
- साबिर ज़फ़र
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कभी दिल मांग लेना,
कभी जान माँग लेना,
अगर मौत अपनी चाहिए,
तो कभी हमसे हिन्दुस्तान माँग लेना।
दिल में हौसलों का तेज और तूफ़ान लिए फिरते है,
आसमान से उंची हम अपनी उड़ान लिए फिरते है,
वक्त क्या आजमाएगा हमारे जोश और जूनून को,
हम तो मुठ्ठी में अपनी जान लिए फिरते हैं।
भरी जवानी में अपनी माँ के चरणों में,कर दिया अपने प्राणों का समर्पण,
रहेंगे अगर हमारे दिलों में वो, अपने शब्दों से करता हूँ श्रद्धा सुमन अर्पण।
मुझे तन चाहिए न धन चाहिए बस अमन से भरा ये वतन चाहिए
जब तक जिंदा रहूं इस मात्रभूमि के लिए और जब मरूं तो तिरंगा कफ़न चाहिए
उनके हौसले का भुगतान क्या करेगा कोई उनकी शहादत का कर्ज़ देश पर उधार है
आप और हम इस लिए खुशहाल हैं क्योंकि सीमा पर सैनिक शहादत को तैयार हैं
कुछ नशा तिरंगे की आन का है कुछ नशा मात्रभूमि की शान का है
हम लहराएंगे हर जगह ये तिरंगा नशा ये हिंदुस्तान की शान का है
विजय दिवस की हार्दिक बधाई